बीतें कल यानी बुधवार को वाराणसी कोर्ट ने काशी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर एक बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला हिंदू पक्ष में आया है। वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनावई करते हुए कहा कि हिंदू पक्ष अब व्यास जी तहखाने में पूजा कर सकता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष में एक ख़ुशी की लहर है। इस फैसले को हिंदू पक्ष की एक बड़ी जीत बताया जा रहा है।
काशी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर आज सुबह एक बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों के हवाले यह खबर है कि बीतें कल वाराणसी कोर्ट के फैसले को लेकर यानी हिन्दू पक्ष को पूजा की अनुमति के खिलाफ अब मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है।
मुस्लिम पक्ष के मुमताज अहमद ने कहा, ”आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे कर अपना अंतिम फैसला दे दिया है। अब हम इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।” इनके साथ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ”इस फैसले से मायूसी जरूर है लेकिन अभी ऊपरी अदालतों का रास्ता खुला है। जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे।”
आपको बात दें कि ज्ञानवापी का विवाद 355 वर्षों से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मंदिर को 1669 में ध्वस्त किया गयाए फिर मंदिर के पिलर और ढांचे पर मस्जिद बनाई गई। ज्ञानवापी को लेकर पहला मुकदमा 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ मामले में दाखिल हुआ था।
मगर फिलहाल एएसआइ(ASI) की सर्वे रिपोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर की तरह ही काशी के ज्ञानवापी का पुराना विवाद खत्म हो सकता है। यह विवाद 1669 से चल रहा है। एएसआई सर्वे से ही अयोध्या में श्री रामजन्म भूमि से संबंधित 500 वर्षों का विवाद खत्म हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने का आदेश पारित किया था। एएसआई ने जिस तरह से राम जन्मभूमि का सर्वे किया थाए उसी तरह ज्ञानवापी का किया है।