Office Vastu Tips : बिजनेस को चमकाना है या दफ्तर में करनी है तरक्की, तो करें ये छोटे-छोटे बदलाव, तेजी से चढ़ेंगे तरक्की की सीढ़ियां

Meghraj
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Office Vastu Tips

Office Vastu Tips : व्यापार में सफलता पाने के लिए मेहनत करना जरूरी है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद लाभ नहीं मिल पाता। इस स्थिति में वास्तु दोष भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर व्यापार में वृद्धि की जा सकती है और बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे वास्तु शास्त्र के कुछ सरल उपाय व्यापार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

व्यापार वृद्धि यंत्र का पूजन

वास्तु शास्त्र के अनुसार, यंत्रों का पूजन व्यापार में वृद्धि के लिए लाभकारी हो सकता है। खासतौर पर व्यापार वृद्धि यंत्र का पूजन करना एक प्रभावी उपाय है। यंत्र की स्थापना शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए और रोजाना इसकी पूजा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

उत्तर दिशा को दोषमुक्त बनाना

वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर का स्थान माना जाता है। यदि उत्तर दिशा में कोई दोष हो, तो यह व्यक्ति की बुद्धि को प्रभावित कर सकता है, जिससे आर्थिक उन्नति में रुकावट आती है। इसलिए उत्तर दिशा को दोषमुक्त रखना जरूरी है। इस दिशा में हरे रंग के तोते की तस्वीर लगाना एक अच्छा उपाय हो सकता है, क्योंकि हरा रंग बुध ग्रह से जुड़ा होता है, जो बुद्धि और व्यापार में उन्नति को प्रभावित करता है।

श्वेतार्क गणपति और एकाक्षी श्री फल का पूजन

अगर व्यापार में कोई समस्या आ रही हो, तो व्यापार स्थल पर श्वेतार्क गणपति और एकाक्षी श्री फल की स्थापना करें। इनका नियमित रूप से पूजन करें और हर सप्ताह एक बार मिठाई का भोग अर्पित करें। यह उपाय व्यापार में बाधाओं को दूर कर सकता है और सफलता की ओर मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

बेडरूम में उचित चित्र का चयन

वास्तु के अनुसार, यदि आप खाद्य पदार्थों से संबंधित व्यापार करते हैं, तो बेडरूम में गाय की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के व्यापार से जुड़े लोग अपने बेडरूम में क्रिस्टल रख सकते हैं, और दवाइयों से जुड़े व्यापारियों के लिए सूर्य नारायण की तस्वीर लगाना लाभकारी होता है। इन उपायों से आपके व्यापार में वृद्धि हो सकती है।

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ऑफिस में कछुआ रखना

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, ऑफिस में धातु से बने कछुए का होना भी लाभकारी हो सकता है। कछुआ न केवल व्यापार में धन लाभ लाता है, बल्कि यह रुके हुए कामों को भी जल्दी पूरा करता है। कछुआ का चित्र या मूर्ति ऑफिस में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

रंग का चयन

वास्तु शास्त्र में रंगों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। अपने ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री में सफेद, क्रीम या हल्के रंगों का उपयोग करें। ये रंग सकारात्मकता और समृद्धि की ऊर्जा को आकर्षित करते हैं, जो व्यापार में उन्नति में सहायक होते हैं।

तिजोरी का स्थान

वास्तु के अनुसार, तिजोरी या कैश काउंटर को उत्तर दिशा में रखना चाहिए। यह दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है, और इससे व्यापार में धन के अवसर बढ़ सकते हैं। तिजोरी के स्थान का सही होना आर्थिक समृद्धि के लिए जरूरी है।

द्वार का सही दिशा में होना

ऑफिस के द्वार का अंदर की ओर खुलना चाहिए और खिड़कियों या दरवाजों का सही स्थिति में होना महत्वपूर्ण है। कार्यालय में किसी भी प्रकार की रुकावट या खराबी से बचने के लिए द्वारों और खिड़कियों की मरम्मत करवाना चाहिए। इसके साथ ही, मीटिंग हॉल में आयताकार टेबल का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि यह कामकाजी वातावरण को सकारात्मक बनाता है।

शुभता के प्रतीक का उपयोग

व्यापार में वृद्धि के लिए आप अपनी कार्यस्थल पर श्रीयंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, क्रिस्टल वाला कछुआ, क्रिस्टल बॉल, या हाथी जैसे शुभ प्रतीकों का उपयोग कर सकते हैं। ये प्रतीक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं।

पाँचजन्य शंख का पूजन

वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि कार्य स्थल पर पाँचजन्य शंख रखना भी व्यापार में वृद्धि के लिए मददगार हो सकता है। शंख की पूजा से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जो व्यापार की तरक्की में सहायक होती है। नियमित पूजा से व्यापार में नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कार्यस्थल का दिशा निर्धारण

व्यापार मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और बैठते समय उनका मुंह उत्तर की ओर होना चाहिए। इसके अलावा, कार्यस्थल के ठीक पीछे एक मजबूत दीवार होनी चाहिए। कांच की दीवार या खिड़की से बचें, क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह सही तरीके से नहीं होता।

मुख्य द्वार का सही स्थान

ऑफिस के मुख्य द्वार का उत्तर दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है। उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व दिशा में भी मुख्य द्वार होना लाभकारी हो सकता है। मुख्य द्वार के सामने कोई रुकावट न हो, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कार्यस्थल में निरंतर बना रहे।

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