शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है। वहीं11 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर शनि ग्रह मकर राशि में मार्गी हो जाएंगे। मार्गी स्थिति का अर्थ है कि जब कोई ग्रह वक्री स्थिति (उलटी चाल) से सीधी दिशा में हो जाता है या फिर सीधी गति में चलने लगता है तो इसे मार्गी कहा जाता है।
फिलहाल शनि मकर राशि में वक्री स्थिति में थे लेकिन अब वह अपनी सीधी स्थिति में वापस लौट रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि की वक्री स्थिति के दौरान जिन लोगों पर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि ग्रह के मार्गी होने पर उनके जीवन में थोड़ा सुकून और राहत आती है, साथ ही कुछ राशि के जातकों के लिए शनि की मार्गी स्थिति शुभ फल लेकर आती है।
बता दें वर्तमान समय में धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती और मिथुन राशि और तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। ऐसे में मुमकिन है कि इन राशियों पर शनि के मार्गी होने का अधिक प्रभाव पड़े। वैसे तो ज्यादातर लोग शनि को क्रूर ग्रह मानते हैं लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनिदेव लोगों के उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो उन्हें साढ़े साती और ढैय्या के दौरान शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं हैं, उन्हें शनि देव दंड देते हैं। उन्हें आर्थिक संकट के साथ-साथ शारिरिक समस्याएं से भी जूझना पड़ता है। 11 अक्टूबर को शनि के मार्गी होने के बाद 29 अप्रैल 2022 में एक बार फिर से शनि का राशि परिवर्तन होगा। इस दौरान धनु राशि पर चल रही साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी।
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