पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की शुरुवात हो चुकी है। माता के भक्तो के लिए यह नो दिन काफी अहम माने जाते है। नो दिन चलने वाली नवरात्रि में माँ के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का आज चौथा दिन है। आज के दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि सच्चे मन से किये जाने वाले पूजा पाठ और उपवास करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस रूप की आज पूजा होती है
आज के दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। कुसुम और आण्ड दो शब्दों से मिलकर कूष्माण्डा शब्द बना है यानी कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड मतलब ब्रह्मांड। अर्थात कूष्माण्डा देवी मतलब वो जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। कूष्माण्डा माँ के आठ भुजाएं हैं जिसमें माता ने अमृत कलश भी लिया हुआ है।
क्या चढाएं माता को भोग में
माँ को मालपुए बहुत पसंद है। मगर माता भक्तो द्वारा चढ़ा हुआ भोग को भी सहर्ष स्वीकरा कर लेती हैं। लेकिन मालपुए का भोग लगाना बहुत ही उत्तम मन गया है।
पूजन विधि
माता को हरा रंग प्रिय है इसलिए सुबह स्नान करके हरे वस्त्रों को धारण करें। उसके बाद माता को इलायची, सौंफ, कुम्हणे और मालपुए का भोग लगाए।
उसके बाद फिर यह मंत्र की 108 बार जाप करे “ओम कूष्मांडा दैव्यै: नम:”। फिर माँ की आरती कर के प्रसाद चढ़ाएं।
पूजा करने के लिए मंत्र है-
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी।।
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी मां भोली भाली।।
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे।।
भीमा पर्वत है डेरा। स्वीकारो प्रणाम मेरा।।
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो मां अम्बे।।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दे मेरी आशा।
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।
तेरे दर पे किया है डेरी। दूर करो मां संकट मेरा।।
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो।।
तेरा दास तुझी को ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।