100 साल पहले चोरी हुई थी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति, अब कनाडा से लाई जा रही काशी, होगा भव्य स्वागत

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करीब 100 साल पहले मां अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति चोरी हो गई थी। बता दें यह मूर्ति चुरा कर कनाडा लाई गई थी। वहीं आज फिर इस मूर्ति को फिर भारत ले जाने की तैयारियां की जा रही है। बता दें यह मूर्ति लगभग सौ साल पहले चुरा कर कनाडा ले जाई गई थी। वहीं अब 14 नवम्बर को मां अन्नपूर्णा की मूर्तिकाशी पुराधिपति की नगरी लाई जा रही है। बता दें 15 नवंबर को प्रबोधिनी एकादशी के दिन इस मूर्ति को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा। साथ ही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव भी मनाया जाएगा।

बता दें मां अन्नपूर्णा की मूर्ति के साथ मंदिर के ईशान कोण में चार अन्य विग्रह भी स्थापित किए जाएंगे। वहीं पूर्व से इस स्थान पर स्थापित रही मूर्ति की भी पुन: प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। बता दें इस महोत्सव की तैयारी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में चल रही है। वहीं मंदिर के मुख्य परिसर में ही विभिन्न स्थानों पर देवी पार्वती, सरस्वती माता, अविमुक्तेश्वर तथा कुबेर के विग्रह स्थापित किए जाएंगे।

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जानकारी के लिए बता दें यह मूर्ति कनाड़ा के विश्वविद्यालय में मिली। वहीं प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा सरकार से बातचीत के बाद इसे फिर भारत लाया जा रहा है। बता दें निर्माण कार्य के चलते इन्हें दूसरी जगह सुरक्षित रखा गया था। वहीं काशी विद्वत परिषद के निगरानी में मंदिर के 11 सदस्यीय अर्चक दल मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच करेंगे। इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे।

बता दें मूर्ति दिल्ली से वाहन में रख कर बनारस के लिए रवाना हो रही है। वहीं मूर्ति 14 नवंबर को काशी पहुंचेगी। जैसे ही मूर्ति काशी की सीमा पर पहुंचेगी वैसे ही भाजपा कार्यकर्ता पुष्प वर्षा कर स्वागत करेंगे। बता दें पहला भव्य स्वागत फूलपुर बाजार में होगा। इसके बाद पिंडरा बाजार होते हुए शाम साढ़े छह बजे बाबतपुर चौराहा पहुंचेगी, यहां पर यात्रा के भव्य स्वागत का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसके पश्चात यात्रा हरहुआ होते शिवपुरा चौक पहुंचकर यात्रा में शामिल मां के भक्त रात्रि विश्राम करेंगे।

खास बात तो यह है कि मूर्ति को कनाडा से वापस भारत लाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद रुचि दिखाई है। वहीं कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त को मूर्ति सौंप दी है। बता दें मां अन्नपूर्णा के इस मूर्ति के एक हाथ में खीर और दूसरे हाथ में अन्न है। मूर्ति लगभग 100 साल पश्चात पुन: अपने मूल स्थान काशी लाई जा रही है।