गज़ल

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By Shivani RathorePublished On: November 6, 2020

मेरा जिस्म जैसे कब्रिस्तान हो गया
नश्वर शरीर मे अमर आत्मा लिए हूँ

सांसे ही भारी लगने लगी है अब तो
फिर भी रिश्तों का बोझ लिए लिए हूँ

किसी से मिलने को जी नही करता
मैं हर किसी के कदम चुम लिए हूँ

तेरे लिए जान दे देंगे वो कहा करते
वो सिर्फ बातें ही थी परख लिए हूँ

अपनी परेशानी को खुद कंधा देना है
वक़्त और तजुर्बे से मैं सिख लिए हूँ

दर्द बताएगा तो लोग तुझ पर हँसेंगे
इसीलिए मैं होठों पर मुस्कान लिए हूँ

धैर्यशील येवले इंदौर ।