MP

बर्बादी की कगार पर क्यों खड़ा हुआ है दुआ सभागृह ?

Author Picture
By Suruchi ChircteyPublished On: June 19, 2023

अर्जुन राठौर

स्वर्गीय प्रीतमलाल दुआ आज हमारे बीच नहीं है इस नेक नियत इंसान ने इंदौर शहर के कलाकारों साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों को एक ऐसी अनूठी सौगात दी जिस पर पूरा शहर गर्व कर सकता था लेकिन यह गर्व अब शर्म में बदल गया है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दुआ सभागृह के हाल चाल ठीक नहीं है ।पिछले दिनों मुझे एक कला प्रदर्शनी में जाने का मौका मिला तो जिस हाल में कला प्रदर्शनी लगी हुई थी उसकी दुर्दशा देखकर सारे कलाकार आंसू बहा रहे थे भारी गर्मी के बीच एसी बंद पड़े थे और पंखे भी आधे अधूरे काम कर रहे थे पूरा हाल एक यातना गृह में बदल चुका था ।

बर्बादी की कगार पर क्यों खड़ा हुआ है दुआ सभागृह ?

वहां मौजूद कर्मचारियों को जब इसकी शिकायत की गई तो उन्होंने कहा मेंटेनेंस वालों को काफी दिनों से बोल रखा है लेकिन वह आते ही नहीं है सवाल इस बात का है कि स्वर्गीय प्रीतमलाल दुआ जी ने तो लाखों रुपए देकर इतना अच्छा सभागृह बनवाया लेकिन हम उसको मेंटेन तक नहीं कर पा रहे हैं इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है । क्या सचमुच दुआ सभागृह संभालने वाले इतने लाचार और दयनीय हो गए हैं कि वे एसी तक चालू नहीं कर पा रहे हैं ,पंखे ठीक नहीं करवा पा रहे हैं । यहां कार्यक्रम करने वाले आयोजकों से पैसा तो पूरा लिया जाता है लेकिन सुविधाएं उन्हें कुछ नहीं मिलती कार्यक्रम आयोजित करने के बाद वे अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं ।

सूत्रधार संस्था के सत्यनारायण व्यास का कहना है

शहर की 17 साल से विविध कार्यक्रम कर रही संस्था-सूत्रधार ने अब तक 294 कार्यक्रम किए हैं जिनमें से लगभग 200 कार्यक्रम दुआ सभागृह में किए हैं।किसी तरह की कोई दिक्कत कभी नहीं हुई, लेकिन गत 7-8 महीने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। करीब 3 महीने पहले 18 जून के लिए सभागृह बुक किया गया था। अभी जब 5 जून को फोन किया तो कहा गया कि 18 को सभागृह किसी और संस्था को दे दिया गया है, जब मैंने निवेदन किया कि जून माह में कोई भी एक दिन दे दीजिए, तो जबाब मिला कि जून पूरा बुक हैं, कोई दिन खाली नहीं हैं। जाहिर हैं, य़ह केवल लीपापोती करने की कोशिश हैं, असली बात सूत्रधार के साथ असहयोग करके परेशान करना हैं। शहर की सम्मानीय साहित्यिक संस्थाओं के प्रति ऐसा रवैया घोर निंदनीय हैं।

शहर के वरिष्ठ चित्रकार पंकज अग्रवाल की य़ह टिप्पणी भी देखे-

पिछले कुछ समय से हम भी परेशान हैं. गेलरी बुकिंग करने जाओ तो लम्बे इंतजार के बाद कोई संतोषप्रद जवाब देने वाला नहीं. पूरा सरकारी रवैया. हार कर हम दूसरी प्राइवेट गेलरी पर आयोजन करने के लिए मजबूर हुए ।