मरघट भी लाशों के स्वागत में, विफल लाचार नजर आता है

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By Mohit DevkarPublished On: April 12, 2021

पं. प्रदीप मोदी


आज सुबह से ही मन विचलित था,सो सुबह स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर सीधा श्मशान में आकर डेरा जमा दिया और यह सब मैं श्मशान के बाहर काली मस्जिद मार्ग पर, शायद कैलाश पहलवान, गोवर्धन पहलवान के खेत पर बिछे पलंग पर बैठकर लिख रहा हूं।श्मशान मेरे घर से चार कदम की दूरी पर है, पहले तो घर के सामने से ही शव यात्राएं गुजरा करती थी, आजकल राजबाड़े के पास से मुक्ति मार्ग से श्मशान जाती हैं।जब यहां श्मशान आया था तो माली समाज के संवेदनशील, समाज प्रिय जाधव सर के तीसरे के दौरान सारी सोरने (समेटने) का काम चल रहा था। मैं यहां देवास के माली समाज की अंतर्मन की गहराई से प्रशंसा करना चाहूंगा,माली समाज के लोगों की प्रशंसा करना चाहूंगा कि वे मृत्यु को भी महोत्सव बना दिया करते हैं, मृत्यु को महोत्सव के रूप में अंगीकार करते हैं।

श्मशान में शव यात्राओं का आना जारी है,श्मशान में से भीड़ कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। अभी-अभी बेचारे किसी अज्जू की मम्मी की शवयात्रा श्मशान में गई है और फिर मेरे कानों में राम नाम सत्य की आवाज गूंज रही है, फिर एक शवयात्रा चली आ रही है श्मशान की ओर, नहीं नहीं, एक नहीं, दो शवयात्राओं के समवेत स्वर सुनाई दे रहे हैं,राम नाम सत्य है।श्मशान में निर्धारित स्थलों के अतिरिक्त भी शव जलने पर विवश है। श्मशान कहो,मसान घाट कहो,मसान घट्टा कह दो,या चक्रतीर्थ कह दो, इसने हमेशा आने वाली शवयात्राओं का मन से स्वागत किया है, मृतक के लिए वैकुंठ धाम की यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया है, लेकिन आज यह भी विफल लाचार नजर आ रहा है। शवों का सिलसिलेवार मेला देखकर मानो श्मशान भी दहल उठा है,वह भी आंसू बहाने पर विवश हो गया है।

जब एक कस्बाई शहर के श्मशान की ये हालत है तो देश के श्मशानों के हालात का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है।लो फिर एक शवयात्रा के बैंड-बाजे की आवाज मेरे कानों में सुनाई दे रही है, लगता है मौत अपने वाली पर आ गई है। जब मौत ही अपने वाली पर आ गई है तो करनेवाला भी क्या करें,प्रशासन समझाइश देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है और जनप्रतिनिधि इस भय से जनता के बीच नहीं आ रहे कि कहीं कोई उनसे पैसे नहीं मांग ले। नैतिक रूप से भ्रष्ट होकर जर्जर हो चुके प्रशासनिक अधिकारी अपने द्वारा दिए गए आदेशों का भी पालन नहीं करा पा रहे हैं।श्मशान में सोशल दूरी का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, शवयात्रा में शामिल लोगों के मुंह पर मास्क भी कम ही नजर आ रहे हैं,मानो लोग प्रियजन के साथ खुद भी मर जाना चाहते हैं।

अभी-अभी सन सिटी टू से एक शव यात्रा आई है और मृतक की तीन मासूम बालिकाएं है, वे भी शवयात्रा में शामिल हैं, ज्ञात हुआ इनका देहान्त सदमे से हो गया है। बदहवास बच्चियों को देख कर मैं भी दहल उठा हूं, आंखों से अश्रुधारा बह निकली है।परम पिता परमेश्वर रहम कर। इस शवयात्रा के साथ ही नगर निगम की ओर से भेजा गया एक टैक्टर आया है,जो श्मशान में रोग नाशक दवाई छिड़क रहा है। इस सद्बुद्धी के लिए नगर निगम को धन्यवाद।हो सके तो आने वाली प्रत्येक शवयात्रा में शामिल लोगों को सेनेटाइजर करने की व्यवस्था करनी चाहिए।