प्लाज्मा डोनेशन को लेकर इंदौरियों में जोश

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By Shivani RathorePublished On: April 30, 2021

इंदौर : इंदौर में आज से प्लाज़्मा डोनेशन का बड़ा अभियान प्रारंभ हो गया है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आज अनेक डोनर पहुँचे। इनमें से कुछ ने प्लाज़्मा डोनेट किया और कुछ ने जानकारी प्राप्त कर अपना संपर्क नंबर दिया जिससे वे भविष्य में यहाँ आकर प्लाज़्मा दे सकें। जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट भी इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज पहुँचे । उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। उन्होंने आज प्लाज़्मा डोनेट करने आए युवाओं को इस कार्य के लिए साधुवाद दिया और प्रमाण पत्र भी प्रदान किया । इस अवसर पर संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा और डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. संजय दीक्षित भी उपस्थित थे। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कहा प्लाज़्मा डोनेशन के लिए प्रशासन सभी संभावित डोनर से संपर्क करेगा और उनके एंटीबॉडी की जाँच करेगा, सुरक्षित वातावरण में यहाँ लाकर प्लाज़्मा प्राप्त करने की प्रक्रिया की जाएगी।

इस अवसर पर डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि प्लाज्मा गंभीर रूप से बीमार या मोटरेट बीमार है उनको ही दिया जाता है। जिससे कि उनको रेडीमेड एंटीबॉडी वायरस से लड़ने की मिल सके। पूर्व में भी यह प्लाज्‍मा थैरेपी हम लोगों ने यूज की थी । अभी दोबारा से वैसे तो दो-तीन दो-तीन प्लाज्मा डोनेशन पिछले डेढ़- दो महीने से लगातार हो रहे हैं, लेकिन अब संख्या बढ़ गई है। प्रभारी डॉक्टर अशोक यादव ने बताया कि आज बुलाए गए आठ में से चार डोनर ने प्लाज़्मा दिया। जिनसे कुल छह यूनिट प्लाज़्मा प्राप्त हुआ है साथ ही आज 10 डोनर की स्क्रीनिंग कर एंटीबॉडी की जाँच भी की गई है। हमने जो अस्पताल से पोजेटिव मरीज डिस्चार्ज हुए हैं, उनके नंबर ले लिए हैं और उनसे फिर काउंसलिंग करके उनका एंटीबॉडी टाइटल पता किया जाएगा। अगर एंटीबॉडी टाइटल उनका इस लेवल का होगा कि जिसमें कि उनसे डोनेशन दिया जाए तो लिया जाएगा।

संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि इसमें डरने की कोई बात नहीं है प्लाज्मा डोनेशन, जैसे ब्लड डोनेशन करते हैं वैसे ही होता है। ढाई सौ से 300 मिलीलीटर खून लिया जाता है और उस खून से फिर प्लाज्मा सेपरेट किया जाता है और वो जो सेपरेटेड प्लाज्मा है, जिस मरीज को आवश्यकता है उनको दिया जा सकता है। मेरी अपील यह है जो पॉजिटिव है, एक तो मैं उनको बधाई देना चाहता हूं कि उनकी इच्छाशक्ति और इम्यूनिटी से वो ठीक हुए हैं। उनको इस चीज को जो उनके पास एंटीबॉडीज है वो अगर दूसरों को देंगे, अगर वह जान बचा सकते हैं तो यह पवित्र काम इनको करना चाहिए, इसमें हिचक की कोई बात नहीं है। जैसे ब्लड डोनेशन देते हैं वैसे ही सामान्य प्रक्रिया है, दो से तीन घंटे में पूरी हो जाती है।