एमपी के इस शहर का 23,332 करोड़ की लागत से होगा कायाकल्प, सीएम मोहन यादव ने दी मंजूरी

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By Sudhanshu TiwariPublished On: May 12, 2025
Ujjain City Development

मध्य प्रदेश के पवित्र शहर उज्जैन में विकास की नई लहर आने वाली है। एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में 23,332 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्यों को मंजूरी दी है। यह मेगा योजना शहर को धार्मिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक रूप से और मजबूत करेगी, खासकर 2028 के सिंहस्थ (कुंभ मेला) को ध्यान में रखते हुए। उज्जैनवासियों में इस खबर से उत्साह का माहौल है। आइए, इस ऐतिहासिक योजना की खासियत और इसके प्रभाव को जानें।

उज्जैन के लिए विकास का बड़ा तोहफा

रिपोर्ट के अनुसार, 23,332 करोड़ रुपये की इस योजना में सड़क, मेट्रो, पानी, बिजली, और धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। उज्जैन-इंदौर मेट्रो, ग्रीनफील्ड रोड, और बायपास का निर्माण तेजी से होगा। महाकाल लोक के विस्तार और रूद्रसागर के सौंदर्यीकरण पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। सीएम ने कहा, “यह योजना उज्जैन को विश्व स्तर का धार्मिक और पर्यटन केंद्र बनाएगी।” यह योजना 2028 के सिंहस्थ के लिए शहर को तैयार करेगी।

रोजगार और पर्यटन को मिलेगा जोर

इस विशाल निवेश से उज्जैन में हजारों नौकरियां पैदा होंगी। निर्माण, पर्यटन, और सेवा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। उज्जैन पहले से ही महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, और यह योजना पर्यटन को और बढ़ावा देगी। बेहतर सड़कें और मेट्रो से श्रद्धालुओं को सुविधा होगी। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इससे कारोबार में तेजी आएगी। यह योजना शहर को आर्थिक केंद्र के रूप में भी मजबूत करेगी।

सिंहस्थ 2028 की तैयारी

2028 में उज्जैन में होने वाला सिंहस्थ इस योजना का मुख्य लक्ष्य है। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को ध्यान में रखते हुए सड़कों, पानी की आपूर्ति, और बुनियादी ढांचे को बेहतर किया जाएगा। उज्जैन-जावरा के बीच 4-लेन ग्रीनफील्ड हाईवे के लिए 5,017 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दी गई है। इससे इंदौर और उज्जैन के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी। यह योजना उज्जैन को कुम्भ मेले के लिए पूरी तरह तैयार करेगी।

उज्जैन का नया भविष्य

सीएम मोहन यादव की इस मंजूरी ने उज्जैन को वैश्विक मंच पर लाने की राह खोल दी है। यह योजना न केवल शहर की सूरत बदलेगी, बल्कि इसे धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नई पहचान देगी। उज्जैनवासी इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और इसे ऐतिहासिक बता रहे हैं। क्या यह योजना उज्जैन को देश का सबसे विकसित तीर्थस्थल बना देगी?