Maharashtra: एकनाथ शिंदे के हाथ राज्य की कमान, ली CM पद की शपथ, डिप्टी सीएम बने देवेंद्र फडणवीस

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Maharashtra: महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी सियासी हलचल के बीच बीजेपी के समर्थन के साथ एकनाथ शिंदे (Eknath शिंदे) ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है. इस दौरान देवेंद्र फडणवीस सहित अन्य वरिष्ठ नेता वहां मौजूद रहे. एकनाथ शिंदे के साथ देवेंद्र फडणवीस ने भी शपथ ली है, उन्हें डिप्टी सीएम का पद सौंपा गया है. पार्टी आलाकमान के कहने के बाद देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम का पद सौंपा गया है. पहले यह कहा जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस इस सरकार में नहीं होंगे. लेकिन इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम का पद लेना चाहिए. जिसके बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए इस बात की जानकारी दी थी.

बता दें कि पहले बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) आज शाम 7 बजे सीएम पद की शपथ लेने जा रहे थे. पहले बताया जा रहा था कि वह कल शपथ लेंगे, लेकिन अब आज ही उनकी ताजपोशी होने की बात सामने आई थी. बीते दिन ही उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सीएम पद से इस्तीफा दिया है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया था. लेकिन एक बड़ा उलटफेर करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा करते हुए ये कहा कि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे. देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी जिसके बाद यह ऐलान किया गया कि एकनाथ शिंदे CM पद की शपथ लेंगे.

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कौन है एकनाथ शिंदे

9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका में मराठी समुदाय में उनका जन्म हुआ. ग्यारहवीं तक उन्होंने ठाणे में पढ़ाई की जिसके बाद वह वागले एस्टेट इलाके में रहकर ऑटो रिक्शा चलाने का काम करने लगे. रिक्शा चलाते चलाते 80 के दशक में उन्होंने शिवसेना जॉइन की और एक आम कार्यकर्ता के तौर पर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. मुंबई से सटे ठाणे जिले के सबसे प्रभावशाली नेताओं में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde)की गिनती की जाती है. लोकसभा और नगर निकाय चुनाव में ठाणे में जीत हासिल करने के लिए एकनाथ शिंदे का साथ बहुत जरूरी माना जाता है. शिवसेना में जमीनी कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद ठाणे के प्रभावशाली नेता आनंद दीघे के साथ से एकनाथ आगे बढ़े.

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1997 में ठाणे नगर पालिका से एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) पार्षद बने और 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता का पद भार उन्हें मिला. 2002 में एक बार फिर पार्षद बने इसके अलावा 3 सालों तक पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य बने रहे. दूसरी बार पार्षद पद जीतने के बाद 2 साल में ही विधायक बन गए. लेकिन साल 2000 में उन्हें शिवसेना में सियासी बुलंदी मिली.

साल 2000 में आनंद दीघे का निधन होने के बाद एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ठाणे में आगे बढ़े. 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ी जिसके बाद उनका पद पार्टी में बढ़ता गया. इधर राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद एकनाथ शिंदे ने जहां शिवसेना में अच्छी पकड़ बनाई, वहीं वह ठाकरे परिवार के करीबी हो गए. उद्धव ठाकरे के साथ उन्हें मजबूती से खड़ा देखा गया.

मातोश्री की करीबी नेताओं की लिस्ट में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का नाम सबसे पहले आता था. साल 2004 में ठाणे की कोपरी पंचपखाड़ी सीट से विधायक चुने गए. शिवसेना के टिकट पर वह पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में भी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. उनके साथ उनके बेटे श्रीकांत शिंदे भी कल्याण लोकसभा सीट से सांसद है. कुल मिलाकर एकनाथ शिंदे ने पार्षद विधायक से लेकर मंत्री बनने तक का सफर तय किया है.

एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde), देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) मंत्रिमंडल के ताकतवर मंत्रियों में से एक हैं. साल 2019 में वह चौथी बार विधानसभा पहुंचे और शिवसेना और उसकी गठबंधन सहयोगी रही बीजेपी के बीच बात बिगड़ गई. इसके बाद शिवसेना विधायक दल की बैठक में एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना गया. तब आदित्य ठाकरे को नेता चुने जाने की बात कही जा रही थी लेकिन विधायक दल की बैठक में एकनाथ शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा गया.

बता दें कि 2019 के चुनाव के दौरान भी सीएम की रेस में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का नाम तेजी से सामने आया था. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा था कि शिवसैनिक ही सीएम बनेगा, यह वचन मैंने बालासाहेब ठाकरे को दिया था. उस समय शिंदे का नाम सामने आया था. शिवसेना के विधायक और नेता उनके नाम पर तैयार भी थे. लेकिन एनसीपी और कांग्रेस की सहमति इस पर नहीं बन पाई. महा विकास आघाडी से उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के सामने आने की वजह से एकनाथ शिंदे को यह पद नहीं मिल पाया. शिंदे बीजेपी के साथ सरकार बनाना चाहते थे, लेकिन उद्धव ठाकरे के सीएम बनने के बाद वह खामोश हो गए. जिसके बाद उद्धव सरकार ने उन्हें नगर विकास जैसा भारी-भरकम मंत्रालय सौंप दिया.