Mahamrityunjaya Jap : इतना लाभ दायक है महामृत्‍युंजय मंत्र, जाप करने से ही दूर हो जाते है सभी कष्ट

Ayushi
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Mahamrityunjaya Jap : महामृत्‍युंजय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय का एक मंत्र है। इस मंत्र को बहुत ज्यादा शक्तिशाली माना गया है। इस मंत्र में शिव की स्तुति की गई है। यदि इस मंत्र का सवा लाख बार जाप किया जाए तो आने वाली परेशानी, बीमारी और अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव ख़त्म हो जाता है। साथ ही इस मंत्र के जाप से ही अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है। आज हम आपको इस मंत्र के जाप से होने वाले लाभ के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं –

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मार्कण्‍डेय धाम तिलवारा के पंडित विचित्र महाराज का कहना है कि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश दोष है तो आप इस मंत्र का जाप का जरूर जाप करें। आपको बता दे, इस मंत्र का जाप खास कर रात 2 बजे से 4 बजे तक ही उचित माना जाता है। ऐसे में यदि स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते समय भी इस मंत्र का लगातार जाप करें तो बिमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा दुर्घटना से भी बचाएगा।

ये है खास बात –

बताया जाता है कि राशि अनुसार भी महामृत्युंजय मंत्र जप किया जाता है। इसके अलावा मारकेश ग्रहों की दशा और अन्तर्दशा में महामृत्युंजय का जाप फलदायी माना गया है।

मृतसंजीवनी मंत्र –

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌ ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ

आपको बता दे, देवता मंत्रों के अधीन होते हैं मंत्रधीनास्तु देवता।

कहा जाता है की महामृत्युंजय शिव षड्भुजा धारी हैं। वह अपनी चार भुजाओं में अमृत कलश रखते हैं। साथ ही वह अमृत से स्नान करते हैं। इसके अलावा अमृत का ही पान करते हैं और अपने भक्तों को भी अमृत पान करवाते हुए अजर-अमर कर देते हैं।

महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र –

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥