Mahakal Mandir : मध्य प्रदेश में दीपोत्सव का पर्व सबसे पहले उज्जैन (Ujjain) में राजा महाकाल के आंगन में मनाया जाता है। हर बार की तरह इस बार भी दिवाली सबसे पहले महाकाल बाबा के दरबार में मनाई जाएगी। इस बार चतुर्दशी और अमावस्या एक ही दिन है। इसलिए एक दिन पहले मनाई जानी वाली राजा महाकाल की दिवाली अब गुरुवार को सुबह 56 भोग के साथ मनेगी। साथ ही प्रजा शाम को दीपावली उत्सव का आंनद लेगी। कोई भी पर्व या त्यौहार हो महाकाल मंदिर में सबसे पहले मनाया जाता है।
आज रूप चतुर्दर्शी के दिन होने वाला भगवान को अभ्यंग स्रान अब कल सुबह भस्म आरती के समय होगा। इस दौरान भगवान को उपटन भी लगेगा। इसको लेकर एक पुजारी ने बताया है कि महाकाल मंदिर में ग्वालियर पंचांग से तिथि का निर्धारण किया जाता है। इसके मुताबिक, आज दोपहर तक तेरस रहेगी। इस वजह से रूप चौदस और दीपावली का पर्व एक साथ गुरुवार को मनाया जाएगा।
उन्होंने बताया है कि इसमें भस्म आरती के दौरान अन्नकूट का महाभोग भी लगेगा। उसके बाद गुरुवार को सुबह कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और शाम को अमावस्या होने से महाकाल मंदिर में गुरुवार को सुबह ही दीपावली का पर्व होगा। सुबह भस्म आरती के दौरान रूप चौदस पर भगवान महाकाल को अभ्यंग स्नान करवाया जाएगा।
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आगे पुजारी महेश शर्मा ने बताया है कि पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को उबटन लगाएंगी। इस दौरान हल्दी, चंदन, इत्र, सुगंधित द्रव्य से बाबा महाकाल को स्रान कराएंगे। साथ ही बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान प्रारंभ होगा। साथ ही भस्म आरती के चलते राजाधिराज के आंगन में अतिशबाजी कर फूलझड़ी जलाकर दीपावली उत्सव मनाया जाएगा।
बता दे, हमेशा धन तेरस पर महाकाल के आंगन में दीपावली बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में दीपावली का पर्व एक दिन पहले चौदस के दिन मनाने की परम्परा है। ऐसे में दीपोउत्सव के दो दिन पहले ही महाकाल के आंगन में पुजारी परिवार ने महाकाल के साथ दीपावली मनाकर दीपावली की शुरुआत की है। वहीं मंगलवार को धन तेरस पर संध्या आरती के दौरान पुजारी और पुरोहितों ने मिलकर भगवान के साथ गर्भ गृह में फुलझड़िया जलाकर दीपावली मनाई।