मुख्यमंत्री कार्यालय की नई कार्यशैली, योजनाएं होंगी और अधिक व्यवस्थित, हर विधानसभा क्षेत्र में शुरू होगी VC की सुविधा

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By Abhishek SinghPublished On: October 9, 2025

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं में गति और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नई कार्य प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने जानकारी दी कि अब मुख्यमंत्री के दौरे, घोषणाओं, स्वेच्छानुदान और अन्य प्रशासनिक गतिविधियों का संचालन अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी ढंग से किया जाएगा। मुख्यमंत्री के दौरे की तैयारी दो चरणों में की जाएगी — प्रारंभिक योजना और मुख्य कार्यक्रम।


प्रारंभिक चरण में किसी कार्यक्रम का प्रस्ताव मिलते ही संबंधित जिले को तत्काल प्रतिक्रिया देनी होगी, जबकि मुख्य कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय पहल, सर्किट हाउस में ब्रीफिंग, प्रभावित परिवारों से मुलाकात और संस्थागत निरीक्षण शामिल होंगे। अधिकारियों को आयोजन स्थल का विस्तृत मूल्यांकन भी करना होगा, जिसमें यातायात, पार्किंग, पेयजल और स्वच्छता जैसी आवश्यक सुविधाओं की समीक्षा अनिवार्य होगी।

जनहित योजनाओं के क्रियान्वयन में आएगी तेजी

दौरे के बेहतर समन्वय के लिए अधिकारियों को नई जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। आलोक सिंह को समग्र समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है, अरविंद दुबे घोषणाओं के प्रबंधन का कार्य संभालेंगे, जबकि समीर यादव सुरक्षा व्यवस्था की देखरेख करेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि इस नई प्रणाली के लागू होने से मुख्यमंत्री के दौरे और घोषणाओं से जुड़ी प्रक्रियाएँ अधिक तीव्र, पारदर्शी और परिणाममुखी बनेंगी। इसके माध्यम से प्रशासनिक कार्यों में गति आएगी और जनहित से संबंधित योजनाओं का लाभ जनता तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सकेगा।

घोषणाओं के प्रबंधन के लिए नई कार्यप्रणाली

घोषणाओं के सुचारू प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट कार्यप्रणाली लागू की गई है। संभावित घोषणाओं को पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा और केवल महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के तहत लाभार्थियों को 48 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने और ऑनलाइन समस्याओं का त्वरित समाधान करने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली स्थापित करने का भी निर्णय लिया है, जिसके लिए हर क्षेत्र को पांच लाख रुपये का बजट आवंटित किया जाएगा।