इंदौर। संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह की सभी तैयारियां और व्यवस्थाएं पूर्व सुनिश्चित कर लें। सभी अतिथि विद्वानों को आमंत्रण पत्र समय पर भेजें। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कालिदास समारोह शासन का प्रतिष्ठित आयोजन है। व्यवस्थाओं के दौरान कलाकारों के सम्मान का पूरा ध्यान रखें। मंत्री द्वय ने मंत्रालय में, उज्जैन में 4 नवंबर से आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कालिदास समारोह की तैयारियों की समीक्षा की।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ 4 नवंबर को राज्यपाल मंगू भाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में होगा। इस अवसर पर चित्रकूट के पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य जी का सारस्वत उद्बोधन होगा। इसी दिन शासन का प्रतिष्ठित कालिदास सम्मान भी प्रदान किए जाएंगे। इसमें रंगकर्म, शास्त्रीय नृत्य, रूपंकर और शास्त्रीय संगीत की विधा में कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा। कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में 7 दिवसीय कालिदास समारोह 4 नवंबर से प्रारंभ होकर 10 नवंबर को संपन्न होगा।
प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि शासन के लिए कालिदास अकादमी एक महत्वपूर्ण परिसंपत्ति है। इसकी गरिमा और मान को बनाए रखना शासन प्रशासन का दायित्व है। इसी को ध्यान में रखकर विभाग द्वारा सभी तैयारियां की जा रही हैं। कालिदास समारोह के दौरान राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, महाकवि कालीदास पर केंद्रित संस्कृत नाटक, नृत्य नाटिका और हिंदी नाटक सहित शास्त्रीय गायन, सितार वादन और स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति होगी। अखिल भारतीय कालिदास समारोह का सजीव प्रसारण दूरदर्शन, यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी किया जाएगा।
समीक्षा बैठक में संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी, अप्पर आयुक्त उच्च शिक्षा कर्मवीर शर्मा, उप सचिव स्कूल शिक्षा प्रमोद सिंह, उप संचालक वित्त अरुण पालीवाल, समिति सचिव विक्रम विश्वविद्यालय शैलेंद्र शर्मा उपस्थित रहे। कलेक्टर उज्जैन आशीष सिंह सहित संबंधित विभाग, अकादमी और विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि ऑनलाइन समीक्षा बैठक से जुड़े।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह
अखिल भारतीय कालिदास समारोह के 1 दिन पूर्व 3 नवंबर को झाबुआ, उज्जैन और गुजरात के लोक दल द्वारा कलश यात्रा निकाली जाएगी। साथ ही लखनऊ की सुश्री मालिनी अवस्थी द्वारा शास्त्रीय गायन और उज्जैन के डॉ. विवेक बनसोड़ द्वारा मंगल वाद्य वादन की प्रस्तुति दी जाएगी। समारोह के पहले दिन 4 नवंबर को कालिदास संस्कृत अकादमी महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा मालविकाग्निमित्रम् पर केंद्रित संस्कृत नाटक का मंचन किया जाएगा।
समारोह के दूसरे दिन नई दिल्ली की संध्या पुरेचा द्वारा भरतनाट्यम शैली में मेघदूत और ऋतुसंहार पर नृत्य नाटिका की प्रस्तुति होगी। अगले दिन 6 नवंबर को कोलकाता के श्री पियाल भट्टाचार्य द्वारा विक्रम संवत्सर पर केंद्रित हिंदी नाटक का मंचन किया जाएगा। समारोह के पांचवे दिन 8 नवंबर को त्रिवेंद्रम की मैथिल देविका द्वारा मोहिनीअट्टम एकल शास्त्रीय नृत्य और भुवनेश्वर के गजेंद्र पण्डा द्वारा ओडीसी नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। अगले दिन 9 नवंबर को कोलकाता की कौशिकी चक्रवर्ती द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति होगी।
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कालिदास समारोह के अंतिम दिन कोलकाता के बुधादित्य मुखर्जी द्वारा शास्त्रीय सितार वादन, उज्जैन की डॉ. वर्षा अग्रवाल द्वारा संतूर वादन सहित काकरोली के छीतरमल जोशी द्वारा राजस्थानी शैली में चित्रांकन एवं गायन की प्रस्तुति दी जाएगी। कालिदास समारोह के दौरान उज्जैन के स्थानीय कलाकार हरिहरेश्वर पोद्दार, आयुषी त्रिवेदी, खुशबू पांचाल, रुचि शर्मा और आयुर्धा शर्मा द्वारा शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति भी दी।