आज के समय में गाड़ी सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं बल्कि लोगों की मेहनत, प्रगति और सफलता का प्रतीक बन चुकी है। जब कोई व्यक्ति नई गाड़ी खरीदता है, तो वह खुद को जीवन में एक नई ऊँचाई पर महसूस करता है। ऐसे में गाड़ी का हर सफर मंगलमय और सुरक्षित रहे, इसके लिए कई लोग उसकी पूजा करते हैं और शुभ मुहूर्त में ही वाहन खरीदते हैं।
हिंदू संस्कृति में किसी भी नए काम की शुरुआत भगवान का स्मरण कर की जाती है और यही नियम नई गाड़ी पर भी लागू होता है। वाहन में भगवान की मूर्ति रखना केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक सकारात्मक सोच का प्रतीक भी है। इससे यात्रा के दौरान आत्मविश्वास बना रहता है और यह भावना जन्म लेती है कि हर रास्ते पर ईश्वर की कृपा बनी रहेगी।

वास्तु शास्त्र में क्या है इसका महत्व?
वास्तु शास्त्र के अनुसार गाड़ी में भगवान की मूर्ति रखने से उसमें सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इससे ड्राइविंग के दौरान तनाव कम होता है और मन शांत बना रहता है। लेकिन भगवान की मूर्ति या तस्वीर रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे मूर्ति का आकार, दिशा और भगवान की मुद्रा। यह सब वाहन में सुख-शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जरूरी माना गया है।
नई गाड़ी में कौन-कौन सी मूर्ति रखना होता है शुभ?
भगवान गणेश की मूर्ति
गणेश जी को शुभारंभ और विघ्नहर्ता का देवता माना गया है। गाड़ी के डैशबोर्ड पर उनकी मूर्ति रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि गणेश जी की उपस्थिति से यात्रा के दौरान आने वाली हर बाधा दूर हो जाती है। ध्यान रखें कि मूर्ति सामने की दिशा में हो और उनकी दृष्टि वाहन के आगे के रास्ते पर हो।
हनुमान जी की मूर्ति
हनुमान जी को साहस, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। वाहन में उनकी उपस्थिति यात्रियों को डर से मुक्त करती है और साहस से भरती है। खासकर लम्बी यात्रा पर निकलते समय हनुमान जी की मूर्ति मन को शांत और निडर बनाती है।
आदियोगी शिव की मूर्ति
अगर आप मानसिक शांति और स्थिरता की तलाश में हैं, तो आदियोगी (शिव) की ध्यानमग्न मूर्ति सबसे उपयुक्त है। यह मूर्ति वाहन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है, क्रोध और तनाव को कम करती है और यात्रा को शांतिपूर्ण बनाती है।
Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।