विवाह करने से पहले जान ले ये आसान बातें, कभी नही टूटेगा सात जन्मों वाला पवित्र रिश्ता

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शादियों का सीजन शुरू हो गया है। वही कुछ युवक-युवती शादी के पवित्र बंधन में बंध भी गए है। इसके अलावा इससे पहले के लोगों ने विवाह किया, लेकिन इसने से कुछ की घर-गृहस्थी ठिक से चल रही है। वही कुछ की आधे रास्तें में ही खत्म हो गई है। ऐसे में इस सात जन्मों वाले पावन रिश्तें को एक सफल कैसे बनाया जाए, ताकि आपको अपने जोड़ीदार के साथ कभी कोई दिक्कत न आए और कभी आ भी जाए कोई परेशानी तो उससे आराम से निपट सकते है।

इस वजह से अक्सर टूटते है रिश्तें

समय के साथ व्यक्ति और उसका व्यक्तित्व भी बदल रहा है, इससे रिश्तों में खटास पैदा हो रही है। वही आज के दौर के युवाओं के रिश्तों में कई तरह के असमंजस और भय भी पनप रहे हैं। इसके चलते यदि वे भावनावश या स्थितिवश विवाह का निर्णय ले भी लेते हैं तो जल्द ही दम्पत्ति के बीच मनमुटाव और तकरार शुरू होने लगती है।

ऐसा लगने लगता है कि गलत फैसला ले लिया। यही कारण है कि टूटते रिश्तों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और विवाह नाम की एक बहुत महत्वपूर्ण संस्था के प्रति लोगों के मन में अनिश्चितता सी पनपने लगी है। जरूरी है कि जीवनभर के इस साथ से पहले एक बार खुद का आकलन किया जाए, ताकि रिश्ता लम्बा हो, खुशहाल हो और निर्णय पर कभी पछतावा न हो।

ये तरीके आजमाएं, कभी नही टूटेगें रिश्तें

परिस्थितियों के साथ करे बदलाव

आप स्थितियों से समझौता करने या एडजस्टमेंट करने से कतराते हैं, तो विवाह के बंधन में बंधने से पहले थोड़ा समय खुद को सुधारने के लिए दें। हालांकि अधिकांश मामलों में यह उम्मीद महिलाओं से की जाती है कि वे हर वातावरण से सामंजस्य बैठा लेंगी, लेकिन यह स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही जरूरी है। लम्बे समय में यह व्यवहार दिक्कत दे सकता है। कभी-कभार, किसी बात के लिए एडजेस्टमेंट न कर पाना अलग बात है।

लेकिन हमेशा साथ रहने पर यह आदत दिक्कत दे सकती है। चाहे आप लम्बी कोर्टशिप के बाद ही विवाह क्यों न कर रहे हों, इस बारे में विचार जरूर करें कि सामंजस्य का मतलब रिश्ते को धैर्य से सहेजना होता है। यदि आपस में प्रेमभाव है तो पति- पत्नी दोनों में स्थितियों के अनुरूप थोड़ा बहुत सामंजस्य बैठाने की आदत होनी चाहिये। यहाँ सामंजस्य बैठाने का मतलब गलत या प्रताड़ना को सहन करना नहीं है।

गलतियों को करें स्वीकार

आप अपनी गलतियों को कभी नहीं स्वीकारते या केवल अपना ही पक्ष सही साबित करने पर तुले रहते हैं तो भी आपको विवाह बंधन में बंधने की जल्दबाजी नहीं करना चाहिए। अगर अब तक आपका परिवार आपकी इस बात को सहन कर रहा है तो जरूरी नहीं कि आने वाले समय में आपका जीवनसाथी भी ऐसा करे। बल्कि भावनात्मक रूप से यह उसके लिए सजा बन जायेगा।

किसी भी बात के दो पहलू होते हैं, इसलिए केवल किसी एक पहलू का पल्लू पकड़कर अपनी बात पर अड़े रहना कभी भी समाधान नहीं दे सकता। इस आदत को सुधारने की कोशिश करें।

एक-दूसरे को अच्छें से समझे

चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज मैरिज, अगर आपको लगता है कि आपको अपने पार्टनर को जानने का पर्याप्त मौका और समय नहीं मिल पाया है तो भी विवाह का निर्णय लेने से बचें। एक-दूसरे को जानने का मतलब केवल कमियों-खूबियों को जानना भर नहीं है। जीवन, भविष्य, रिश्तों आदि के बारे में कोई क्या सोचता है, यह ज्यादा मायने रखता है।

इसलिए विवाह के रिश्ते में जुड़ने से पहले हमेशा एक-दूसरे को जानने का समय लें। खासकर यदि आपको किसी बात को लेकर संशय है तो खुलकर उस बारे में बात करें, समझें और फिर निर्णय लें।

मजाक नहीं है बदलना

आपके पार्टनर में कुछ आदतें ऐसी हैं जो उसके और आपके भविष्य में तनाव की वजह बन सकती हैं। उदाहरण के लिए किसी बुरी लत या नशीले पदार्थ का सेवन, बेवजह झगड़ा करने की आदत, अभद्र भाषा का प्रयोग आदि। अगर आप ये सोचकर विवाह का निर्णय ले रहे हैं कि आप अपने पार्टनर की उन आदतों को बदल देंगे या शादी के बाद वे आदतें छूट जाएंगी, तो रुककर सोचिये। यह कोई ग्यारंटी नहीं कि वे आदतें बदल ही जाएँगी।

इसलिए इसके बारे में पहले खुलकर बात करें और सोचकर निर्णय लें। यही बात तब भी लागू होती है जब आप अपने होने वाले जीवनसाथी के पहनावे, खान-पान आदि को शादी के बाद बदलने की सोच रखते हैं। देखने में ये भले ही सामान्य बातें लगें लेकिन आगे जाकर बड़े मनमुटाव का कारण बन सकती हैं।

यह भी ध्यान में रखें

शादी के बाद जाहिर है कि परिवार, समाज और स्वयं से जुड़ी प्राथमिकताएं और जिम्मेदारियां बदल जाती हैं। क्या आप इसके लिए खुद को तैयार पाते हैं? अगर जिम्मेदारियों के नाम भर से डरते या कतराते हैं तो अभी आपके लिए विवाह के रास्ते पर आगे बढ़ना ठीक नहीं है। विवाह आपके जीवन का एक बड़ा और महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है। चाहे आप अपने जीवनसाथी को लम्बे समय से जानते हों तो भी शादी के बाद जिम्मेदारियां और स्थितियां बदलती हैं।

यह बदलाव सकारात्मक भी होता है क्योंकि आपको सहयोग देने वाला साथी भी मिलता है। इसलिये इस बदलाव के लिए खुद को तैयार करके ही आगे बढ़ें। आने वाली स्थितियां आपके साझे भविष्य को तय करेंगी इस बात का ख्याल करें।