Khatu Mela 2022 : राजस्थान के खाटू कस्बे में खाटूश्यामजी मंदिर में लगने वाला लक्खी मेला 6 मार्च से शुरू हो चुका है। ये मेला 15 तक चलेगा। आपको बता दे, इस मेले को खाटू फाल्गुन मेला भी कहा जाता है। यहां खूब संख्या में लोगों की भीड़ इस मेले में आती है। इस साल कोरोना में मिली छूट की वजह से काफी संख्या में भक्तों का तांता यहां लगने वाला है। बताया जाता है राजस्थान का ये मेला काफी बड़ा मेला होता है। हिन्दू धर्म में बताया गया है कि भगवान खाटूश्याम घटोत्कच के पुत्र है। इन्होने श्री कृष्ण के कहने पर अपना खुद का सर कटवा लिया। ऐसे में उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के वरदान स्वरूप में पूजा जाता है।
पौराणिक कथा –
मान्यताओं के अनुसार, घटोत्कच और दैत्य मूर की बेटी मोरवी के बेटे बर्बरीक ने तपस्या कर कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति की थी। ऐसे में उन्होंने अपनी मां से ये वादा किया था कि महाभारत के युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे। ऐसे में उन्होंने कौरवों का साथ दिया। बताया गया है कि श्री कृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक कौरवों का साथ देंगे। ऐसे में पांडवों का हारना तय है। कहा जाता है कि इस दौरान कान्हा ने बर्बरीक से दान में उसरा सिर की मांग की। इसलिए ख़ुशी ख़ुशी अपना सर काट कर दे दिया। इस बलिदान से श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया। जिसके बाद आज उन्हें खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है।
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इसलिए पूजे जाते है खाटू श्याम –
मान्यताओं के मुताबिक, राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर स्थित छोटे से कस्बे खाटू में दफनाया गया था। ऐसे में एक गाय यहां हर दिन आती थी और यहां आकर वह दूध की धारा बहाती थी। ऐसे में एक दिन लोगों ने चमत्कार देखा और वहां खुदाई की। जिसके बाद यहां एक सर प्रकट हुआ। कुछ दिनों के लिए इसे एक ब्राह्मण को दे दिया गया था। खाटू नगर के राजा को सपने में मंदिर निर्माण और शीश मंदिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया।