नकुल पाटोदी। २६ जनवरी सन् १९९७ को २६ वर्ष पहले जिस महापौर केसरी की शुरुआत तत्कालीन महापौर मधुकर वर्मा ने की थी उसके प्रथम महापौर केसरी बने थे दीपक पहलवान। दीपक ने अपने से दूने भारी भरकम घनश्याम पहलवान को हराकर यह खिताब जीता था। दीपक पहलवान चंदन गुरु व्यायाम शाला के शिष्य होकर खानदानी पहलवानी से ताल्लुक रखते हैं। दीपक पहलवान के पिता भागीरथ दादा कुश्ती के शौकिन ही नहीं जुनूनी थे। उन्होंने अपने पांचों पुत्रों को कुश्ती गीर बनाया और पांचों ने ही नाम कमाया। बड़े भाई जगदीश पहलवान की कुश्ती वर्तमान मैें शिवराज सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट से बराबर रही। सिलावट भी अपने जमाने के पहलवान रहे हैं। दूसरे भाई ओम पहलवान की इंदौर के ही कल्लू पहलवान से रोमांचक ले-दे की कुश्तीयां हुई। तीसरे भाई राजू पहलवान दिल्ली के हिन्द केसरी संजय पहलवान से खूब लड़े पर बराबर रहे। चौथे मुकेश पहलवान भी अपने समय के पहलवानों से दो-दो हाथ कर चुके हैं।
पांचवें व सबसे छोटे दीपक चौहान उर्फ भूरा पहलवान ने भी अपने गुरु चन्दन गुरु और पिता भागीरथ दादा व भाईयों के निर्देशन में कुश्ती की बारिकियां सीखी और आगे बढ़ते रहे। सन् १९९० में इंदौर ओपन में द्वितीय रहे। सन् १९९२-९३ में रूस्तमे म.प्र. केसरी प्रतियोगिता में ओपन वर्ग में द्वितीय रहे। सन् १९९४ में इंदौर केसरी प्रतियोगिता ओपन वर्ग में द्वितीय रहे। यह आयोजन भी इंदौर नगर निगम द्वारा ही करवाया गया था। इंदौर शहर कुश्ती प्रेमियों का शहर है, यहां के राजे रजवाड़ों से लेकर धन्नासेठों ने भी कुश्ती का खूब सहयोग किया, लेकिन जब यह खेल सरकारों के भरोसे चला गया तो कभी हुआ और कभी नहीं हुआ।
सन् १९९७ में २६ वर्ष पहले महापौर मधु वर्मा ने महापौर केसरी की शुरुआत की थी। उसे आगे बढ़ाया तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय ने सन् २००४ में जिसमें रोहित पटेल महापौर केसरी बने थे।कैलाश विजयवर्गीय ने घोषणा की थी कि महापौर केसरी प्रतियोगिता प्रति वर्ष होगी पर घोषणा-घोषणा ही रह गई। इसके बाद उमा शशि शर्मा महापौर बनी २००९ में उनके कार्यकाल में इसे गद्दे पर करवाया गया जो लगभग असफल रहा था। बाद में महापौरों ने महापौर कुश्ती प्रतियोगिता पर कोई रुचि नहीं दिखाई।
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सन् २०२३ में नए महापौर बने पुष्यमित्र भार्गव ने महापौर केसरी प्रतियोगिता दिनांक २३ से २६ फरवरी में करवाने का निर्णय लिया, जिसमें कुश्ती प्रेमी नंदकिशोर पहाड़िया की विशेष रुची रही। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अपने कार्यकाल के प्रथम वर्ष में ही आयोजन करवा कर, वह भी पच्चीस लाख रु. की ईनाम राशि के साथ प्रथम वर्ष में यह आगाज कर दिया कि अब महापौर केसरी आयोजन प्रति वर्ष होगा। प्रति वर्ष होने से पहलवानों में वर्षभर उत्साह भी रहेगा। नए पहलवानों की पौध भी उभरेगी, जो शहर का नाम प्रदेश-देश व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर सकेंगे। आग्रह :महापौर पुष्यमित्र एक घोषणा और करें विजेता व उपविजेता को इंदौर नगर निगम गोद लेकर स्थाई नौकरी प्रदान करें।