Kartik Purnima: सप्ताह के आखिरी दिन है कार्तिक पूर्णिमा, जानें इन पांच घटनाओं का विशेष महत्त्व

Author Picture
By Ayushi JainPublished On: November 27, 2020

कार्तिक पूर्णिमा इस महीने के आखिरी दिन है। यानी 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन पवित्र नदियों में नहाने का काफी ज्यादा महत्त्व है। साथ ही स्नान करने के बाद दान पूर्ण करने का भी काफी महत्त्व है। बता दे, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सबसे खास बात ये है कि इस दिन कुछ खास योग बन रहे हैं। जो कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व और भी ज्यादा बढ़ा देने वाले हैं। दरअसल, इस बार सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग बन रहे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे है इस हुई उन पांच घटनाओं के बारे में जिनका कार्तिक पूणिमा का हिन्दू धर्म में अधिक महत्त्व है। तो चलिए जानते हैं उन पांच दिनों के बारे में –

ये है वो 5 दिन –

विष्णु का मत्स्य अवतार – पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने दस अवतारों में पहला अवतार मत्स्य अवतार का रूप धारण किया था। बता दे, मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने प्रलय काल के दौरान वेदों की रक्षा की थी। जिसके बाद भगवान् का यह अवतार कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने से वैष्णव मत में इस पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है।

भगवान शिव बने त्रिपुरारी – शैव मत के अनुसार इस दिन भगवान शिव को त्रिपुरारी का नाम दिया गया था। बताया जाता है कि इस दिन महादेव ने ख़ास रथ पर बैठकर अजेय असुर त्रिपुरासुर का वध किया था। जिसके बाद ही इस राक्षस के मारे जाने से तीनों लोकों में फिर से धर्म की स्थापित हुआ। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।

पांडवों का दुःख समाप्त – बता दे , महाभारत युद्ध में पांडवों के सगे संबंधियों की असमय ही मृत्यु हुई थी इनकी आत्मा को शांति कैसे मिले? इसे लेकर पांडव बहुत दुखी थे। इन पांडवों के दुःख को देखकर कृष्ण भगवान ने पितरों की शांति का उपाय बताया था। दरअसल, इस उपाय कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के कृष्ण अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक की विधि शामिल थी। इसलिए आत्मा की शांति के लिए गढ़ मुक्तेश्वर में पिंडदान और दीपदान किया था।

देवी तुलसी बैकुंठ धाम गई- बता दे, तुलसी का विवाह देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ हुआ। वहीं वह पूर्णिमा के दिन तुलसी बैकुंठधाम गई थी इसलिए इस दिन का बहुत महत्त्व है।

सिख धर्म की स्थापना हुई- वहीं सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्त्व माना जाता है। बताया गया है कि इस दिन सिख धर्म की स्थापना हुई थी और इस धर्म में प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसलिए सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को प्रकाश उत्सव के रूप में मानते हैं।