सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेशकों को लग सकता है झटका! सरकार बंद कर सकती है योजना, ये है वजह!

srashti
Published on:

अगर आप भी सोने में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है और यह खबर आपको चौंका भी सकती है। सोने में निवेश हमेशा फायदेमंद और सुरक्षित माना जाता है। जो लोग सोने में निवेश करते हैं उन्हें लंबी अवधि में हमेशा फायदा मिलता है। इसलिए सरकार कई तरह की योजनाएं भी चलाती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम उनमें से एक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार अब इस योजना को बंद कर सकती है या इसका दायरा कम कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो जिन निवेशकों ने अच्छे रिटर्न की उम्मीद से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश किया है, उन्हें भारी नुकसान हो सकता है।

23 जुलाई को संसद में पेश केंद्रीय बजट में सरकार ने सोने पर सीमा शुल्क में कटौती की घोषणा की है. सीमा शुल्क में कटौती के बाद एनएसई पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमतें 2 से 5 फीसदी तक गिर गईं.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्या है?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना 2015 में शुरू की गई थी। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की ओर से आरबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं, इसलिए ये सरकारी गारंटी हैं। इसमें आपको निवेश पर गारंटीशुदा रिटर्न मिलता है. इससे निवेश पर सालाना 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है. यह पैसा हर 6 महीने में निवेशक के बैंक खाते में जमा किया जाता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पहली स्कीम या सीरीज 30 नवंबर 2015 को आई थी. जो नवंबर 2023 में परिपक्व हो गया। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना 2016-17 की दूसरी श्रृंखला अगस्त 2016 में शुरू की गई थी। यह श्रृंखला अगले अगस्त 2024 में परिपक्व होने जा रही है।

सॉवरेन गोल्ड बांड खरीदने की सीमा

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने का बॉन्ड खरीद सकता है। जबकि बांड के लिए आवश्यक न्यूनतम निवेश 1 ग्राम है। वहीं, ट्रस्ट या इसी तरह की अन्य संस्थाएं 20 किलोग्राम तक के बॉन्ड खरीद सकती हैं। आपको बता दें कि इस योजना के लिए आवेदन में न्यूनतम 1 ग्राम और उसके गुणकों की घोषणा की जाती है।

निवेशकों को कैसे होगा नुकसान?

जिन निवेशकों ने 8 साल पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में सीरीज एक के तहत निवेश किया था, उन्हें अब नुकसान हो सकता है। दरअसल, साल 2016-17 की सीरीज 1 अगस्त 2016 को आई थी. उस समय इसका इश्यू प्राइस 3119 रुपये प्रति ग्राम था. उस समय इस पर 2.75 फीसदी सालाना ब्याज मिलता था. इस सीरीज की मैच्योरिटी अगले महीने यानी अगस्त में होने वाली है.

बजट से पहले सोने की कीमत करीब 74 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थी. अगर सरकार सोने पर कस्टम ड्यूटी नहीं घटाती तो सोने की कीमत और बढ़ सकती थी. लेकिन इससे सोने की कीमत में गिरावट आई है. सीमा शुल्क में कटौती नहीं होने से मान लीजिए अगस्त में सोने की कीमत 75 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम थी और अब यह 70 हजार रुपये के आसपास है, ऐसे में निवेशक को प्रति 10 ग्राम पर 5 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.