इंदौर। आज के दौर की इस बदलती लाइफ स्टाइल ने हमारे शरीर में कई बीमारियां पैदा की है, अगर लाइफ स्टाइल में हरी, करी और वरी की बात की जाए तो इसी वजह से पाइल्स जैसी समस्या सामने आती है। हरी यानी जल्दबाजी में मोशन करने और प्रेशर लगाने से यह समस्या सामने आती है, वहीं वरी यानी चिंता की वजह से हमारे डाइजेशन पर गलत प्रभाव पड़ता है, इसी के साथ करी यानी स्पाइसी फूड, मैदा, जंक फूड और अन्य चीजों का भारी मात्रा में हमारे खाने में शामिल होने से यह मोशन को हार्ड कर देता है, और यह इसका एक मुख्य कारण है।
यह बात डॉक्टर आशीष वोरा प्रॉक्टोलॉजिस्ट, जनरल सर्जन ने कही। डॉक्टर आशीष वोरा (Dr Ashish Vora) ने एमबीबीएस (MBBS) के बाद एमएस की पढ़ाई महाराष्ट्र के डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज मुंबई से की है। इसके बाद दिल्ली स्थित सेंट्रल गवर्मेंट के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अपनी सेवाएं दी। वहीं लेप्रोसकॉपी और लेजर सर्जरी में ट्रेनिंग के बाद अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने शहर के प्रतिष्ठित अरविंदो अस्पताल में सेवाएं देने के बाद अब वह खुद के क्लिनिक पर सेवाएं दे रहे हैं।
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मोशन में जोर लगाने से पड़ता है प्रेशर, पाइल्स की समस्या बढ़ती है
वह बताते है, कि खाना खाने के बाद बॉडी का एक डाइजेशन का एक प्रोसेस है, जो मुंह से शुरू होकर पेट के अन्य हिस्सों तक पहुंचता है,इसके बाद मोशन के रास्ते इसे बाहर निकालना होता है, कई बार लोग इसे काम समझकर मोशन में जोर लगाते है इस वजह से उस जगह पर बार बार जोर लगाने से प्रेशर पड़ता है और चोट लगती है और वह हिस्सा डैमेज हो जाता है।
जिससे पाइल्स की समस्या उत्पन्न होती है, इसी के साथ हेरिडेटरी की बात अगर की जाए तो रात को सब खाना साथ में खाते हैं लेकिन मोशन सब को अलग अलग समय पर होते हैं। सबके डाइजेस्टिव प्रोसेस अलग होते हैं। जिसका डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर होता है, और खाने में फाइबर की कमी होने पर पाइल्स जैसी समस्या सामने आती है। बार बार कट लगने से मरीज को डेली एक्टिविटी करने में समस्या आती है। इसके बाद धीरे धीरे बीमारियां पैदा होती है जिसमे पाइल्स, फिशर्स, फिस्टुला शामिल है।
अब तक की है लगभग 7 हजार सर्जरी
इसी के साथ वह बताते है कि हर बीमारी की खास वजह होती है, उन्होंने अभी तक गॉल ब्लेडर सर्जरी, हर्निया, आंतो की सर्जरी, थाई रॉइड संबंधित सर्जरी, लेजर द्वारा पाइल्स, फिस्टूला, वेन्स और अन्य सर्जरी की है। डॉक्टर आशीष वोहरा लेजर द्वारा प्रोक्टोलॉजी सर्जरी और दूरबीन की मदद से पेट की सर्जरी करते है। 12 साल के इस फील्ड करियर में अभी तक उन्होंने 7 से 8 हज़ार सर्जरी कर दी है, जिसमें लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, ओपन सर्जरी, दूरबीन और अन्य शामिल है। इसी के साथ उन्होंने देश विदेश के कई फेलोशिप प्रोग्राम और ट्रेनिंग में हिस्सा लिया है।
लाइफ स्टाइल और जैनेटिक के आधार पर होता है फिस्टुला
फिस्टूला छोटी नली की तरह होता है, इसमें दो मुंह होते है एक आंतो कि तरफ वहीं दूसरा चमड़ी की तरफ होता है। यह मोशन के मुख्य नली के सिकुड़ने से होता है, इससे मोशन बराबर ना होने से आसपास की वॉल्व पर प्रेशर पढ़ने से इन्फेक्शन शुरू हो जाता है, धीरे धीरे यहां एक गड्ढा बन जाता है, और फिस्टुला का रूप ले लेता है। यह मुख्य रूप से कॉन्स्टीपेशन, रिपीटेड ट्रॉमा, प्रेशर और सही समय पर इलाज करवाने से होता है। यह सब बीमारियां हमारी लाइफ स्टाइल और जैनेटिक के आधार पर होती है। प्राइमरी फिस्टूला उसी जगह के कारण होता है, आंतो की कुछ बीमारियों और कैंसर के कारण भी फिस्टुला हो सकता है।
इन बीमारियों से बचने के लिए यह डाइट ले
हमारी लाइफ स्टाइल वॉइस कमांड पर हो गई है, एक जगह ज्यादा देर बैठने और एक्सरसाइज ना करने का असर पाचन क्रिया पर पड़ता है, इस पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए, वहीं इन बीमारियों से बचने के लिए सबसे पहले तो ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए, खाने में फाइबर की मात्रा का होना, डाइट में हरी सब्जियां, फल, आदि का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।