भारतीयों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा तीन गुना अधिक: डॉ. राकेश जैन

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विश्व हृदय दिवस : कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी – हार्ट मै ब्लॉकेज) ग्लोबल लेवल पर मृत्यु का प्रमुख कारण है। अनुमानतः सीवीडी , से प्रतिवर्ष 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, जो कि ग्लोबल लेवल पर होने वाली सभी मौतों का 32% है।

इनमें से 85% मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं, यह बात इंदौर स्थित सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश जैन ने विश्व हृदय दिवस पर जानकारी देते हुए कही, जो हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हृदय रोग के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना, इसकी की गंभीरता को समझाना और इसके भविष्य के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए उचित समय पर प्रिवेंटिव उपायों को लागू करना है।

डॉ. जैन ने कहा कि वेस्टर्न पॉपुलेशन की तुलना में एशियाई भारतीयों में हार्ट मै ब्लॉकेज की संभावना 3 गुना अधिक है और हार्ट मै ब्लॉकेज (कोरोनरी आर्टरी डीजिज रोग) के कारण मृत्यु का जोखिम 20-50% अधिक है। हम भारतीयों के लिए, सीवीडी में चिंता का कारण कम उम्र में इसका शिकार होना, तेजी से प्रगति, बार-बार अस्पताल में भर्ती होना और उच्च मृत्यु दर है।

हार्ट मै ब्लॉकेज के लिए कॉमन रिस्क फैक्टर डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, डिस्लिपिडेमिया, मोटापा, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधियों की कमी, नींद की कमी, मानसिक तनाव और खराब जीवन शैली हैं। डायबिटिज पेशेंट्स में हार्ट मै ब्लॉकेज का खतरा 3-4 गुना बढ़ गया। युवाओं में दिल के दौरे में सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर धूम्रपान, मोटापा और खराब जीवन शैली हैं।

हार्ट मै ब्लॉकेज के मुख्य लक्षण शारीरिक गतिविधियां करते समय सीने में दर्द या अत्यधिक सांस फूलना है। अन्य संबंधित लक्षण हैं कमजोरी, चक्कर आना, एसिडिटी महसुस होना है। कभी-कभी यह लगभग बिना लक्षण वाला भी हो सकता है या पेट की बीमारियों से संबंधित लक्ष्ण देता है, खासकर बुजुर्ग और मधुमेह रोगियों में।
सही समय पर एनुअल रुटिन हार्ट चेकअप आपके हार्ट की हेल्थ को जानने और भविष्य के दुष्प्रभावों और खतरों से बचने के लिए प्रिवेंटिव उपाय या उपचार शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है।

पहले से किया गया बचाव हमेशा इलाज से बेहतर है। हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है। रिस्क फैक्टर की उचित देखभाल करने, लाइफस्टाइल में बदलाव और यदि आवश्यक हो तो दवाओं द्वारा डायबिटिज, हाई बल्ड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने से भविष्य के जोखिम को कम किया जा सकता है।

सप्ताह के प्रत्येक दिन कम से कम 30-45 मिनट एरोबिक फीजिकल एक्सरसाइज करने से लगभग सभी रिस्क फैक्टर में सुधार होता है। इसके साथ ही धूम्रपान बंद करें, हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं, लो फैट डाइट ले, ड्राई फ्रूट्स का सेवन आदि चिजें करना कारगर साबित होगा। स्वस्थ शरीर के लिए 6-7 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है। इसके साथ ही लाइफस्टाइल में योग को भी महत्व देना चाहिए।

डॉ. राकेश जैन, एमडी, डीएम, एफएसीसी, सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, महावीर क्लीनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर, टीबीसी टावर, गीता भवन स्क्वायर, एबी रोड, इंदौर