ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 2021 की अंतिम तिमाही में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है। यह आंकड़ा अमेरिकी डॉलर पर आधारित है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत ने इस साल की पहली तिमाही में भी अपनी बढ़त को बरकरार रखा है। इससे पहले भी 2019 में भारत ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवें स्थान पर पहुंचा था।
एक अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही है। वहीं ब्लूमबर्ग की शुक्रवार को जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक 2021 की अंतिम तिमाही में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

Also Read: लोकसभा चुनाव 2024 : विपक्षी एक साथ आए भाजपा को सबक सिखाए- बोले सीएम नीतीश कुमार

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली तिमाही में बढ़त हासिल कर ली है। अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अमेरिका है। जबकि दूसरे नंबर पर चीन फिर जापान और जर्मनी का नंबर है। लेकिन कोरोना महामारी के वावजूद भी भारत ने ये कर दिखाया। आपको बता दें एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें नंबर पर था और ब्रिटेन पांचवें पायदान पर।
जानें कितना है ब्रिटैन और भारत की अर्थव्यवस्था में अंतर
नकदी के हिसाब से अर्थव्यवस्था के आकार की बात करें तो मार्च में समाप्त हुई तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की थी, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 816 बिलियन डॉलर था। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में और गिरावट आने की आशंका है। दूसरी तिमाही में नकदी के संदर्भ में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था महज एक प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा यहां की मुद्रा ने भी डॉलर के सामने रुपये के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार मजबूती के संकेत देखे जा रहे हैं तो दूसरी तरफ यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का दौर है। अगर भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे ही आगे बढ़ती रही तो जल्द ही वह सालाना आधार पर दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन जाएगी।