उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाल्मीकि समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी सुरक्षा समाज की सुरक्षा के बराबर है, और आपका सम्मान भगवान वाल्मीकि की महान विरासत का सम्मान है।
सीएम योगी ने वाल्मीकि समाज के लोगों को बड़ी खुशखबरी दी और बताया कि अब महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। सफाई और संविदा कर्मचारियों को अब आउटसोर्सिंग कंपनी के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे सरकार के कॉरपोरेशन द्वारा उनके अकाउंट में भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही, स्वच्छता कर्मचारियों को पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा भी मिलेगा। जब वेतन सीधे अकाउंट में जमा होगा, तो ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि अगर किसी कर्मचारी के साथ दुर्भाग्यवश कोई दुर्घटना या आपदा घटित होती है, तो बैंक के माध्यम से 35 से 40 लाख रुपए का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। पहले ही यूपी के 80 हजार होमगार्ड कर्मियों को यह कवर प्रदान किया जा चुका है और अब इसे सफाई कर्मचारियों तक भी फैलाया जा रहा है।
प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएँ
सीएम योगी मंगलवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित महर्षि वाल्मीकि प्रकट दिवस समारोह में शामिल हुए, जिसका आयोजन बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा ट्रस्ट द्वारा किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भगवान वाल्मीकि की जयंती पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ दीं। कार्यक्रम के दौरान लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
तप और साधना से प्रेरित लेखनी
उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि भारत के महान पुरुषों की परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। तप और साधना से परिपूर्ण ऋषि ने जब लेखनी उठाई, तो लोककल्याण और मानव कल्याण की दिशा में एक नई कृति रचने के लिए हजारों वर्ष पहले देवर्षि नारद से पूछा कि कौन ऐसा पात्र है, जिसके चरित्र पर आधारित मैं कुछ लिख सकता हूँ। महर्षि वाल्मीकि इस तथ्य को जानते थे कि केवल चरित्रवान व्यक्ति ही समाज और राष्ट्र के कल्याण का मार्ग खोल सकता है। इसी दृष्टि से उन्होंने रामायण की रचना करते समय पूरी कथा को भगवान राम के जीवन और आदर्शों पर केंद्रित किया।
महर्षि वाल्मीकि का समाज पर अनंत योगदान
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राम को आधार इसलिए चुना गया क्योंकि राम स्वयं धर्म के साक्षात रूप हैं। मानव समाज भगवान वाल्मीकि का हमेशा ऋणी रहेगा। जब किसी भारतीय के मन में संदेह या उलझन उत्पन्न होती है, तो महर्षि वाल्मीकि ने हर स्थिति में जिस आदर्श का पालन किया, वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का था। उन्होंने राम के चरित्र को इस तरह प्रस्तुत किया कि यह हर युग, देश और परिस्थिति में प्रासंगिक बना रहे। भाई-भाई, पिता-पुत्र, मां-बेटे, राजा-प्रजा के संबंधों में क्या मर्यादा और जिम्मेदारियाँ होनी चाहिए, यह उन्होंने राम के माध्यम से दिखाया। राम ने कभी भी मर्यादा की लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं किया।