उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर बनाई जा रही लैंड पूलिंग योजना (Land Pooling Scheme) को लेकर राज्य सरकार ने अब एक बड़ा निर्णय लिया है। पहले जहां सरकार इस योजना के तहत एकतरफा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में थी, वहीं अब किसानों के विरोध और आपत्तियों को देखते हुए इसमें बड़ा बदलाव किया गया है। नई नीति के अनुसार, अब किसी भी किसान या भूमि मालिक की लिखित सहमति (Written Consent) के बिना उसकी जमीन पर कोई भी विकास कार्य नहीं किया जाएगा। इस फैसले ने किसानों को बड़ी राहत दी है और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की है।
किसानों की आपत्ति के बाद बदला फैसला
पिछले कुछ महीनों से सिंहस्थ क्षेत्र की जमीनों के एकतरफा अधिग्रहण को लेकर किसानों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही थी। कई स्थानों पर किसानों ने इस प्रक्रिया के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। किसानों का कहना था कि उन्हें बिना मुआवजा और सहमति के जमीन से बेदखल नहीं किया जा सकता। उनकी इस चिंता को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने अब योजना में बदलाव कर दिया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी भूमि मालिक की अनुमति के बिना जमीन अधिग्रहण नहीं होगा।
स्वैच्छिक होगी सहमति की प्रक्रिया
इस संबंध में कलेक्टर रोशनकुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शासन ने यह संशोधित निर्णय नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50(11) के अंतर्गत स्वीकृत किया है। अब जमीन मालिक अपनी मर्जी से, यानी स्वैच्छिक रूप से (Voluntary Consent) अपनी भूमि विकास कार्यों के लिए दे सकते हैं। प्रशासन या किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा किसानों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाएगा। इससे सरकार और किसानों के बीच विश्वास का वातावरण बनेगा, जो विकास कार्यों के लिए आवश्यक है।
सीमित दायरे में होंगे निर्माण कार्य
नई नीति के तहत, सिंहस्थ क्षेत्र में अब केवल मुख्य सड़कों, सार्वजनिक सुविधाओं और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े निर्माण ही किए जा सकेंगे। इसका अर्थ यह है कि आवासीय या व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं होगा। सरकार का उद्देश्य केवल सिंहस्थ महाकुंभ 2028 के दौरान श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा प्रदान करना है, न कि अनावश्यक भूमि हड़पना।
मुआवजे की प्रक्रिया होगी पारदर्शी
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी भूमि की आवश्यकता सड़क, पुल, पार्किंग या किसी अन्य सार्वजनिक सुविधा के लिए पड़ेगी, तो उस जमीन का अधिग्रहण केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत और उचित मुआवजा देकर किया जाएगा। मुआवजे की राशि बाजार मूल्य के अनुरूप तय की जाएगी, जिससे किसानों को किसी प्रकार की आर्थिक हानि न हो।
किसानों को राहत और विश्वास की भावना
सरकार के इस नए फैसले से उज्जैन और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के बीच संतोष का माहौल है। पहले जहां वे एकतरफा अधिग्रहण को लेकर चिंतित थे, अब उन्हें भरोसा है कि उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं होगी। सिंहस्थ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन के लिए विकास कार्य जरूरी हैं, लेकिन यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि विकास और जनहित कार्य किसानों के अधिकारों की कीमत पर न हों।










