सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर पहले पारित आदेश की समीक्षा की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि जिस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की गई है, वह कानून के अनुसार सही है और इसमें पुनः विचार की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए, पूर्व के आदेश में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनाया, जिसमें जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस पीवी नरसिम्हा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता शामिल थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में समलैंगिक विवाह पर सुनाया था एहम फैसला
17 अक्टूबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने समलैंगिक विवाह पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। अदालत ने कहा था कि वह समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकती। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विशेष विवाह अधिनियम में किसी भी तरह का संशोधन करना संसद का कार्य है, और न्यायालय केवल कानून की व्याख्या कर सकता है, उसे बनाने का कार्य नहीं कर सकता। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि यह मानना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में ही है, गलत होगा, क्योंकि यह किसी भी जाति या वर्ग से संबंधित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है, भी सही नहीं होगा। विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद को करना है।