भारत का एकमात्र अजेय किला, जहां अंग्रेजों ने भी टेक दिए थे घुटने, सुरक्षा व्यवस्था थी बेहद अनूठी

राजस्थान के भरतपुर में स्थित लोहागढ़ किला भारतीय इतिहास का वह अध्याय है जिसे कोई जीत नहीं सका। मजबूत सुरक्षा, मगरमच्छों से भरी खाई और मिट्टी की अभेद्य दीवारों ने इसे अजेय बनाया। स्थापत्य, संस्कृति और वीरता का अद्भुत संगम है यह ऐतिहासिक किला।

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भारत एक ऐसा देश है जो अपने समृद्ध इतिहास और अद्वितीय विरासत के लिए जाना जाता है। यहाँ हर राज्य में अनेक ऐतिहासिक किले हैं, जो भारत की वीरता, कला और सांस्कृतिक संपन्नता के प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक है राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित लोहागढ़ किला, जिसे लौहगढ़ या अजेय दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। यह किला अपनी मजबूती, रणनीतिक बनावट और शौर्यपूर्ण इतिहास के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

निर्माण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

लोहागढ़ किले का निर्माण महाराजा सूरजमल द्वारा वर्ष 1733 में करवाया गया था। इस दुर्ग को पूरी तरह तैयार करने में करीब 8 वर्ष का समय लगा। यह किला ना केवल स्थापत्य कला की दृष्टि से बेजोड़ है, बल्कि इसके इतिहास में साहस, दृढ़ता और विजयी संकल्प की झलक भी मिलती है। यह किला भारत का इकलौता ऐसा किला है जिसे आज तक कोई भी शासक जीत नहीं सका। यहाँ तक कि अंग्रेजों को भी यहां से पीछे हटना पड़ा।

अजेयता का रहस्य: अनूठी सुरक्षा व्यवस्था

लोहागढ़ किले की सुरक्षा प्रणाली इतनी मजबूत थी कि इसे भेद पाना असंभव माना जाता था। किले के चारों ओर 100 फीट चौड़ी और 60 फीट गहरी खाई बनाई गई थी, जिसमें युद्ध के समय मोती झील और सुजान गंगा नहर का पानी भरा जाता था। इस खाई को और अधिक घातक बनाने के लिए इसमें मगरमच्छ छोड़ दिए जाते थे। जैसे ही दुश्मन इस खाई में उतरने का प्रयास करते, मगरमच्छ उन्हें अपना शिकार बना लेते। युद्ध के समय उन्हें भोजन देना बंद कर दिया जाता, जिससे वे और भी आक्रामक हो जाते।

बुलंद दीवारें और बेजोड़ निर्माण शैली

किले की दीवारें साधारण पत्थरों या ईंटों से नहीं, बल्कि विशेष किस्म की कच्ची मिट्टी से बनाई गई थीं। यह मिट्टी इतनी मजबूत होती थी कि उस पर तोपों और बारूद का कोई असर नहीं होता था। यह निर्माण शैली ही इस किले की सबसे बड़ी ताकत थी, जिसने इसे अजेय बना दिया।

आंतरिक संरचना और दर्शनीय स्थल

लोहागढ़ किला केवल एक सुरक्षा स्थल नहीं, बल्कि वास्तु और संस्कृति का एक बेहतरीन उदाहरण भी है। किले के भीतर कई ऐतिहासिक और आकर्षक स्थल मौजूद हैं, जैसे:

  • किशोरी महल
  • हंसारानी महल
  • कचहरी कला
  • चमन बगीची
  • हम्माम (प्राचीन स्नानघर)

साथ ही किले में अनेक भव्य द्वार भी हैं जैसे: मथुरा द्वार, बिनारैन गेट, नीमदा गेट, कुम्हेर गेट, और चंदपोल गेट। ये सभी द्वार किले की भव्यता और रणनीतिक महत्व को दर्शाते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से महत्व

यदि आप राजस्थान की यात्रा कर रहे हैं, तो भरतपुर का लोहागढ़ किला आपकी सूची में अवश्य होना चाहिए। यह किला न केवल ऐतिहासिक अनुभव देता है, बल्कि आपको भारतीय वीरता और वास्तुकला की श्रेष्ठता का जीवंत एहसास कराता है।