जयशंकर की चीन यात्रा पर राहुल का तंज, बीजेपी का पलटवार: ‘विदेश नीति का F भी नहीं जानते’

जयशंकर की चीन यात्रा को लेकर राहुल गांधी और बीजेपी के बीच बयानबाजी इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत में विदेश नीति अब सिर्फ कूटनीतिक मसला नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा भी बन चुकी है।

Dileep Mishra
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भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात को लेकर शुरू हुआ सियासी संग्राम अब तेज होता जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कटाक्ष के जवाब में बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने राहुल गांधी पर “विदेश नीति न समझने” और “सशस्त्र बलों का अपमान करने” जैसे आरोप लगाए हैं। यह विवाद चीन के साथ भारत के संवेदनशील संबंधों के बीच, संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले और भी गर्माता नजर आ रहा है।

‘विदेश नीति को खत्म करने चला सर्कस’

राहुल गांधी ने जयशंकर-शी जिनपिंग की मुलाकात को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक खबर साझा करते हुए लिखा- “मुझे लगता है कि अब चीनी विदेश मंत्री आएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन-भारत संबंधों में हालिया घटनाक्रम से अवगत कराएंगे। विदेश मंत्री अब भारत की विदेश नीति को नष्ट करने के उद्देश्य से एक सर्कस चला रहे हैं।” इस टिप्पणी के जरिए राहुल गांधी ने चीन के साथ रिश्तों को लेकर केंद्र की नीति और विदेश मंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चीन के सामने नरम रुख अपनाए हुए है।

‘विदेश नीति का F भी नहीं जानते’

कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने कड़ा पलटवार किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा की – “राहुल गांधी को विदेश नीति का F भी नहीं आता, लेकिन वह हर बार सवाल उठाते हैं। जब हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक के लिए चीन जाते हैं, तो वहां चीनी विदेश मंत्री वांग यी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ही मिलेंगे, किसी और से नहीं।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए यह भी पूछा, “क्या जयशंकर चीन जाकर इटली के प्रधानमंत्री से मिलें?”

सशस्त्र बलों पर टिप्पणी को लेकर भी उठी आपत्ति

बीजेपी ने राहुल गांधी पर यह भी आरोप लगाया कि वह बार-बार भारतीय सेना और सुरक्षा बलों का अपमान करते हैं। अजय आलोक ने कहा कि राहुल गांधी आदतन झूठे और भ्रामक बयान देते हैं, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर। गौरतलब है कि हाल ही में लखनऊ की एक अदालत ने राहुल गांधी को सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज मानहानि के मामले में जमानत दी है।

धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों पर भी छिड़ी बहस

इस पूरे घटनाक्रम के समानांतर एक और बड़ा मुद्दा चर्चा में है। संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को आपातकाल के दौरान जोड़े जाने पर आरएसएस ने पुनर्विचार की मांग की है। इस पर भी अजय आलोक ने टिप्पणी की और कहा की – “यह संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर का अपमान है। आपातकाल के दौरान विपक्ष को जेल में डालकर ये संशोधन किए गए थे। अब इस पर देशव्यापी बहस जरूरी है।”

क्या है SCO और जयशंकर की यात्रा का उद्देश्य?

एस. जयशंकर की चीन यात्रा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए थी, जिसमें रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और मध्य एशिया के देश शामिल हैं। इस मंच का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ाई और आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है।

हालांकि, इस यात्रा की अहमियत इसलिए और भी बढ़ जाती है क्योंकि 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद यह पहली उच्च स्तरीय राजनीतिक मुलाकात थी। इसलिए कांग्रेस इसे संदेह की नजर से देख रही है, जबकि बीजेपी इसे राजनयिक जिम्मेदारी मान रही है।

सियासी हमले और विदेश नीति पर दो दृष्टिकोण

जयशंकर की चीन यात्रा को लेकर राहुल गांधी और बीजेपी के बीच बयानबाजी इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत में विदेश नीति अब सिर्फ कूटनीतिक मसला नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा भी बन चुकी है। जहां कांग्रेस इसे ‘चीन के आगे झुकना’ करार दे रही है, वहीं बीजेपी इसे ‘वैश्विक मंच पर भारत की भागीदारी और ताकत’ बता रही है। सवाल यह है कि कूटनीति पर कटाक्ष और सियासत क्या राष्ट्रीय हितों की अनदेखी तो नहीं कर रही?