6 अगस्त 1945 को, जापान के हिरोशिमा शहर पर एक परमाणु हमले की समाचार की बात जब भी लोगो के सामने आती है तो लोगों में डर के साथ-साथ भावनात्मक पीड़ा भी जाग उठती है, जब जापान के हिरोशिमा शहर ने परमाणु हमले का स्वागत किया, जिस दुखद घटना में, लाखों लोगों की जानें चले गई। आज से कुछ साल पहले, इस हादसे ने हिरोशिमा के लोगों के दिलों में अदृश्य दरारें छोडी, जो अब भी उनके आत्मा में बसी हैं। उनकी मजबूती, संघर्ष और सहनशीलता ने दिखाया कि मानवता कितनी मजबूत हो सकती है, चाहे उसे कितने भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
6 अगस्त 1945, दुनिया के लिए बन गया काला दिन!
हिरोशिमा, जापान: आज ही के दिन दुनिया ने वो दर्दनाक दिन देखा था, जब 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका द्वारा परमाणु हमला किया गया। यह घटना एक नये युग की शुरुआत थी, जिसमें विज्ञान और तकनीकी के आविष्कारों ने मानवता को एक नये दिशा में ले जाने का माध्यम बना दिया। लेकिन साथ ही साथ मानवता के लिए भयानक दिन, क्युकी इस परमाणु बम ने विज्ञान की दुनिया में नया कदम तो रखा मगर 70 हजार लोगों की मौत के साथ। आज भी हम जब हिरोशिमा में हुए परमाणु हमले की बात करते है तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते है।
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परमाणु हमले ने हिरोशिमा को एक मात्र अलंकरण नहीं दिया, बल्कि उसने उस शहर की पूरी अस्तित्वकोण को हिला दिया। इस अत्याचार ने लाखों लोगों की जान ले ली और अनगिनत पीड़ा और संताप का कारण बना।
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रोबर्ट आपनहाइमर जिसने बनाई परमाणु शक्ति!
जूलियस रोबर्ट आपनहाइमर एक प्रमुख थे जो महाद्वीपांतरीय विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और विमानिकी अभियांता थे। उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के समय में जैविक और परमाणु हथियारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे आलमबाघ विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से फिजिक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने गए। उन्होंने जूनियर फेलोशिप के रूप में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और फिर प्रिंसटन विश्वविद्यालय में अध्यापन की तालिम प्राप्त की। जब अमेरिका द्वारा जापान के इन शहरों पर परमाणु हमला हुआ था तो जूलियस रोबर्ट आपनहाइमर की इसमें काफी भूमिका थी। लेकिन जब बम जापान के इन शहरों पर गिरा तो आपनहाइमर के उम्मीद से ज्यादा नुकसान हुआ और आपनहाइमर खुद एक विनाश बन गए।
इस भयानक घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें एक-दूसरे के साथ शांति और समझदारी से रहना चाहिए। हमें इस घटना को याद रखकर एक मजबूत, सद्भावना से भरपूर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।