भारत पर NATO की 100% टैरिफ की धमकी: नई वैश्विक टकराव की आहट, भारत ने दी दो टूक प्रतिक्रिया

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By Dileep MishraPublished On: July 17, 2025
रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता MEA

अमेरिका और NATO ने रूस से व्यापार जारी रखने वाले देशों को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। NATO महासचिव मार्क रूट ने अमेरिका दौरे पर पत्रकारों से कहा, “भारत, चीन और ब्राजील को समझना होगा कि अगर उन्होंने रूस से तेल और गैस का व्यापार जारी रखा तो उन्हें 100% सेकेंडरी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।” रूट ने तीनों देशों के नेताओं से अपील की कि वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता के लिए दबाव डालें। उन्होंने कहा, “अगर आप भारत के प्रधानमंत्री, चीन के राष्ट्रपति या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो यह जरूरी है कि आप रूस से संबंधों के परिणामों को गंभीरता से लें।” यह बयान ऐसे समय आया है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस और उसके साझेदार देशों पर भारी टैक्स लगाने की चेतावनी दी है।

भारत ने जताया कड़ा विरोध

भारत ने NATO और अमेरिका की धमकी को “अनुचित और अस्वीकार्य” बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- “भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है और हम अपने ऊर्जा हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। वैश्विक दबाव के आधार पर हमारी विदेश नीति नहीं चलेगी।” भारत ने दो टूक कहा है कि वह रूस से रियायती दर पर तेल खरीदना जारी रखेगा क्योंकि यह देश की आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है। भारत की यह नीति न केवल व्यावसायिक है, बल्कि रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी एक कदम है। भारत का कहना है कि वह यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर है, लेकिन इसके नाम पर देशों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाना स्वीकार्य नहीं है।

तेल संकट से लेकर वैश्विक दबाव तक

अगर NATO और अमेरिका ने सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए, तो भारत को कई मोर्चों पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। रूस भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। प्रतिबंधों से यह सप्लाई बाधित हो सकती है और भारत को सऊदी अरब, इराक जैसे देशों से महंगा तेल खरीदना पड़ेगा। रियायती तेल बंद होने से पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे आम नागरिक पर महंगाई का दबाव बढ़ेगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका दे सकता है। अमेरिका भारतीय कंपनियों को SWIFT सिस्टम से बाहर कर सकता है या वित्तीय प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा। रूस और पश्चिम के बीच संतुलन बनाना भारत के लिए कठिन होगा। भारत को दोनों पक्षों के साथ अपने हितों को साधना होगा।

दबाव में नहीं आएंगे, विकल्प तलाशेंगे

रूस ने भी अमेरिका और NATO की धमकियों को ठुकरा दिया है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने कहा की “रूस किसी भी अल्टीमेटम को नहीं मानेगा। हम अपनी नीतियों पर कायम रहेंगे और आवश्यक हुआ तो व्यापार के वैकल्पिक रास्ते खोजेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि रूस भारत, चीन और खाड़ी देशों के साथ सहयोग को और मजबूत करेगा। रूस ने यह संकेत भी दिया कि वह डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत को तैयार है, लेकिन दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेगा। भारत आज उस चौराहे पर खड़ा है जहां उसकी ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक रणनीतिक स्थिति और आर्थिक स्थिरता दांव पर है। NATO और अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच भारत की अगली रणनीति यह तय करेगी कि वह एक वैश्विक कूटनीतिक ताकत के रूप में कितनी दृढ़ता से उभरता है।