अजमेर दरगाह मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध, SC से की यह डिमांड

Author Picture
By Ravi GoswamiPublished On: November 28, 2024

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अब मस्जिदों और दरगाहों पर लगातार दावों के बीच सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है। ऐसे मामलों की सुनवाई पर बोर्ड ने शीर्ष न्यायालय से रोक लगाने की मांग की है। इससे पहले शीर्ष न्यायालय से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी।

बोर्ड ने अपनी तरफ से एक बयान जारी करते हुए कहा की ऐसे दावों पर निचली अदालतों में सुनवाई हो रही है। बोर्ड ने कहा कि इस पर न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और इसे रोकने का आदेश जारी करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसद ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को पास किया है, और इस कानून को लागू करना केंद्र सरकार और सभी राज्यों की जिम्मेदारी है। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो देश में स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है।

संभल केस को लेकर ताज़ा अपडेट

बोर्ड ने कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना घटी तो इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर कानून की रक्षा करनी चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) से दखल की मांग करते हुए इन दावों पर चिंता जताई है। बोर्ड ने बताया कि संभल में जामा मस्जिद का विवाद अभी तक हल नहीं हुआ है, और अब अजमेर दरगाह को लेकर शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। इस प्रसिद्ध दरगाह से जुड़े मामले में संबंधित पक्षों को कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया जा चुका है।

ऐसे दावों को न किया जाए स्वीकार

लेकिन अब मथुरा की शाही ईदगाह, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, मध्य प्रदेश की भोजशाला मस्जिद और संभल की जामा मस्जिद पर भी दावे किए गए हैं। अजमेर दरगाह के बारे में यह दावा किया गया है कि यहां पहले शिव मंदिर था, जिसमें रोजाना पूजा होती थी।

बाबरी मस्जिद मामले में डॉ. इलियास के अनुसार सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि नया कानून लागू होने के बाद अब कोई दावा नहीं किया जा सकता। लेकिन निचली अदालतों में ऐसे दावे स्वीकार किए जा रहे हैं, और लगातार नरम रुख अपनाते हुए इन्हें मंजूर किया जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि अदालतों को निर्देश दिए जाएं कि वे इस प्रकार के दावे न स्वीकार करें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांग की कि इन दावों के कारण स्थिति और न बिगड़े, और शीर्ष अदालत इस पर ध्यान दे।