अब ट्रेनों को नहीं करना होगा सिग्नल का इंतजार, नई तकनीक से होगी समय की बचत

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By Srashti BisenPublished On: May 12, 2025
Train Signal New System

पश्चिम मध्य रेलवे (Western Central Railway) के भोपाल मंडल में अब ट्रेनें सिग्नल के कारण देर नहीं होंगी। रेलवे ने निशातपुरा यार्ड में देश की पहली ऑप्टिकल फाइबर आधारित सिग्नल प्रणाली शुरू की है। यह तकनीक पुराने तार आधारित सिस्टम की तुलना में ज्यादा तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय है।

ऑप्टिकल फाइबर से होगा सिग्नल का संचालन

इस नई प्रणाली में अब सिग्नल्स का संचालन पारंपरिक भारी वायरिंग के बजाय ऑप्टिकल फाइबर के जरिए किया जाएगा। इससे सिग्नल भेजने में समय नहीं लगेगा और सिस्टम में तेजी आएगी। नई तकनीक “लैम्प आउटपुट मॉड्यूल” पर आधारित है, जिसमें कंट्रोल रूम से सीधे सिग्नल को फाइबर के माध्यम से ऑपरेट किया जाएगा।

सिस्टम की मुख्य विशेषताएं और फायदे

तेजी से काम करने वाला सिस्टम: सिग्नल का रिस्पॉन्स टाइम कम होगा और ट्रेनें समय पर चल सकेंगी।

ब्लैंक सिग्नल नहीं होंगे: यदि किसी एक सिग्नल में गड़बड़ी आती है तो भी ट्रेन चालक को सिग्नल का आस्पेक्ट दिखता रहेगा, जिससे संचालन प्रभावित नहीं होगा।

कम वायरिंग, ज्यादा सुविधा: भारी तारों की जरूरत खत्म होने से रखरखाव आसान हो जाएगा।

बैकअप लाइन: यदि एक फाइबर लाइन खराब हो जाती है, तो दूसरी लाइन अपने आप सक्रिय हो जाती है, जिससे संचालन नहीं रुकता।

ऑटोमैटिक कूलिंग: सिस्टम के साथ एक स्वचालित पंखा जुड़ा है, जो जरूरत पड़ने पर खुद चालू होकर मशीन को गर्म होने से बचाता है।

चरणबद्ध तरीके से होगा पूरे खंड में विस्तार

फिलहाल यह नई तकनीक निशातपुरा यार्ड में दो सिग्नलों पर लागू की गई है। अब इसे भोपाल से बीना के बीच चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। रेलवे का लक्ष्य है कि जून 2026 तक पूरे रेलखंड में यह नई तकनीक पूरी तरह से काम करने लगे।

अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद संचालन

सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया कि पुरानी प्रणाली में तारों से सिग्नल कंट्रोल होते थे, जिससे समय लगता था और खराबी की संभावना बनी रहती थी। अब ऑप्टिकल फाइबर आधारित प्रणाली से यह समस्या दूर हो जाएगी। यह सिस्टम तेज, सुरक्षित और अधिक भरोसेमंद है।