दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में नहीं… इस जिलें में है भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन, सुविधाओं में एयरपोर्ट को देता है टक्कर, जानें कौन है मालिक?

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By Raj RathorePublished On: November 20, 2025
Rani Kamlapati Station

Rani Kamlapati Railway Station : भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को देश के पहले निजी रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया गया है। यह स्टेशन, जिसे पहले हबीबगंज के नाम से जाना जाता था, अब किसी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी सुविधाओं और डिजाइन का दावा करता है।

इस स्टेशन का पुनर्विकास पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत किया गया है, जो रेलवे के बुनियादी ढांचे में निजी क्षेत्र की भागीदारी का एक प्रमुख उदाहरण है। इसका उद्देश्य यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाना और रेलवे की संपत्तियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना है।

एयरपोर्ट को टक्कर देती सुविधाएं

रानी कमलापति स्टेशन पर यात्रियों के लिए कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यहां एक विशाल एयर-कॉनकोर्स है, जहां बैठकर यात्री ट्रेनों का इंतजार कर सकते हैं। इसके अलावा, स्टेशन पर मल्टी-कुजीन फूड कोर्ट, शॉपिंग स्टोर, साफ-सुथरे वेटिंग रूम और आधुनिक शौचालय भी हैं।

यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशन पर कई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए गए हैं। सुरक्षा के लिहाज से पूरे परिसर में लगभग 160 सीसीटीवी कैमरे स्थापित हैं, जिनसे 24 घंटे निगरानी की जाती है। स्टेशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आने और जाने वाले यात्रियों के लिए अलग-अलग रास्ते हों, जिससे भीड़भाड़ की स्थिति न बने।

कौन है स्टेशन का संचालक?

इस स्टेशन के पुनर्विकास और संचालन का जिम्मा भोपाल स्थित बंसल ग्रुप (Bansal Group) को सौंपा गया है। भारतीय रेलवे ने इस स्टेशन को 45 साल की लीज पर कंपनी को दिया है। इस अवधि के दौरान, बंसल ग्रुप स्टेशन के रखरखाव, सफाई और व्यावसायिक गतिविधियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगा।

हालांकि, यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि ट्रेनों का संचालन, टिकटिंग प्रणाली और पार्सल की बुकिंग जैसे मुख्य कार्य पहले की तरह भारतीय रेलवे के नियंत्रण में ही रहेंगे। निजी कंपनी केवल स्टेशन परिसर के प्रबंधन और विकास का काम देख रही है।

हबीबगंज से रानी कमलापति तक का सफर

इस स्टेशन का पुराना नाम हबीबगंज था। नवंबर 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके नए और आधुनिक स्वरूप का उद्घाटन किया। मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के बाद, केंद्र सरकार ने इसका नाम 18वीं शताब्दी की गोंड रानी, रानी कमलापति के सम्मान में बदलने की मंजूरी दी। यह कदम स्थानीय इतिहास और संस्कृति को सम्मान देने के प्रयास का हिस्सा था।

रानी कमलापति स्टेशन की सफलता भारतीय रेलवे के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर रही है। इस परियोजना के बाद, देश के कई अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों को भी इसी PPP मॉडल पर विकसित करने की योजना बनाई गई है। इसका लक्ष्य रेलवे स्टेशनों को केवल परिवहन केंद्र के बजाय व्यावसायिक और मनोरंजक हब के रूप में बदलना है, जिससे रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व भी उत्पन्न हो सके।