मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को आपस में जोड़ने वाला आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे अब एक नए आयाम की ओर बढ़ रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत चंबल नदी पर एक आधुनिक केबल-स्टे ब्रिज का निर्माण प्रस्तावित है, जो न केवल मध्यप्रदेश का पहला ऐसा ब्रिज होगा, बल्कि इसे इंजीनियरिंग का एक आकर्षक उदाहरण भी माना जा रहा है। इस एक्सप्रेसवे की सहायता से तीनों राज्यों के बीच आवागमन बेहद आसान हो जाएगा।
चंबल नदी पर बनेगा 600 मीटर लंबा भव्य पुल
एक्सप्रेसवे के इस महत्वपूर्ण खंड में बनने वाला पुल लगभग 600 मीटर लंबा होगा और यह दो विशाल केबल पिलरों के सहारे खड़ा होगा, जिनकी ऊंचाई 130 मीटर रखी जाएगी। यह पुल प्रयागराज के नैनी ब्रिज की तर्ज पर डिजाइन किया जा रहा है।

इसकी विशेष बात यह है कि यह चंबल नदी पर स्थित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य क्षेत्र में बनेगा, जो इसे एक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में स्थापित करता है। यही कारण है कि यहां पर पारंपरिक डेकोरेटिव लाइटिंग का उपयोग नहीं किया जाएगा ताकि जैवविविधता प्रभावित न हो।
पर्यावरणीय मंजूरी के बाद निर्माण कार्य होगा शुरू
शुरुआती योजना में यहां एक सामान्य पुल प्रस्तावित था, लेकिन बाद में इसे केबल-स्टे ब्रिज के रूप में परिवर्तित कर दिया गया, जो तकनीकी दृष्टि से अधिक स्थायित्व और सौंदर्य प्रदान करता है। परियोजना को हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड से आवश्यक एनओसी मिल गई है। एनएचएआई के टेक्निकल मैनेजर प्रशांत मीणा के अनुसार, नवंबर 2025 से ब्रिज और एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य प्रारंभ होने की पूरी संभावना है।
चंबल अभयारण्य और इको सेंसेटिव ज़ोन से होकर गुजरेगा ये ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे
इस 88.40 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का लगभग 3 किलोमीटर भाग राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य और इको सेंसेटिव ज़ोन से होकर गुजरेगा। इसमें से 1 किमी हिस्सा अभयारण्य क्षेत्र में तथा शेष 2 किमी इको सेंसेटिव जोन में आएगा। राजस्थान में भी एक्सप्रेसवे का एक अंश (लगभग 1 किमी) अभयारण्य और 9 किमी संरक्षित सीमा से होकर गुजरेगा। इस पूरी योजना के लिए संबंधित विभागों से आवश्यक स्वीकृतियाँ मिल चुकी हैं।
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में शनिश्क्षटा क्षेत्र में एक्सप्रेसवे का करीब 15 किलोमीटर लंबा हिस्सा वन क्षेत्र से होकर निकलेगा। इसके लिए राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है और लगभग 15 करोड़ रुपए का भुगतान भी वन विभाग को किया जा चुका है।
क्या होता है केबल-स्टे ब्रिज?
केबल-स्टे ब्रिज एक विशेष प्रकार का पुल होता है जिसमें पुल के डेक (पार करने योग्य सतह) को मजबूत टावरों से जोड़ने के लिए केबल्स का उपयोग किया जाता है। ये केबल्स ऊपर की ओर से सपोर्ट देकर पुल को न केवल संतुलित बनाए रखते हैं, बल्कि इसकी स्थायित्व और भार क्षमता भी बढ़ाते हैं।
केबल-स्टे ब्रिज की मुख्य विशेषताएं
- स्ट्रेंथ (मजबूती) : इसमें प्रयुक्त केबल्स पुल को अधिक वजन सहने में सक्षम बनाते हैं, जिससे यह भारी ट्रैफिक के लिए उपयुक्त होता है।
- स्टेबिलिटी (स्थिरता) : इसकी संरचना प्राकृतिक आपदाओं जैसे तेज हवा और भूकंप के प्रति अधिक रेजिस्टेंट होती है।
- इकोनॉमिकल (लागत प्रभावशीलता) : लंबे स्पैन वाले ब्रिज निर्माण में यह तकनीक पारंपरिक पुलों की तुलना में सस्ती पड़ती है।
- एस्थेटिक (सौंदर्य) : इस तरह के पुल अपने आकर्षक डिजाइन के चलते अक्सर किसी शहर की पहचान बन जाते हैं।