मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां अधिकारियों की मिलीभगत से करीब ढाई दशक तक एक बड़ा घोटाला चलता रहा। विभाग ने निवाड़ी जिले में एक प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को फर्जी तरीके से सरकारी बताकर वेतन देने के मामले का पर्दाफाश किया है। अब इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए विभाग ने इन सभी शिक्षकों से वेतन की पूरी राशि वसूलने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह राशि करीब 15 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
ढाई दशक तक लगाया चूना
यह पूरा फर्जीवाड़ा विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का नतीजा था। जानकारी के अनुसार, निवाड़ी के एक निजी स्कूल को कागजों पर सरकारी घोषित कर दिया गया। इसके बाद उस स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी के तौर पर दर्ज कर लिया गया और उन्हें सरकारी खजाने से नियमित वेतन और एरियर का भुगतान किया जाने लगा। यह सिलसिला करीब 25 सालों तक बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा।
यह घोटाला इतने लंबे समय तक कैसे चलता रहा, यह जांच का विषय है। इतने वर्षों में कई शिक्षक रिटायर भी हो गए होंगे और उन्हें पेंशन जैसे लाभ भी मिले होंगे। इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। अब मामला सामने आने के बाद विभाग हरकत में आया है और पूरे मामले की परतें खंगाल रहा है।
वसूली के लिए आदेश जारी
मामले के खुलासे के बाद लोक शिक्षण संचालनालय, सागर संभाग ने एक कड़ा फरमान जारी किया है। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिन शिक्षकों ने गलत तरीके से सरकारी वेतन प्राप्त किया है, उनसे पूरी राशि वसूली जाएगी। विभाग ने वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है और संबंधित शिक्षकों को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है।
इसके साथ ही, इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच के लिए मामला लोकायुक्त को सौंपने पर भी विचार किया जा रहा है। इस कार्रवाई का दोहरा उद्देश्य है – एक तो सरकारी धन की वसूली करना और दूसरा, इस तरह की धोखाधड़ी में शामिल लोगों को सजा दिलाना ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।










