भारतीय हस्तकला से रूबरू हुए सत्त्व स्कूल के विद्यार्थी, परमार दंपति ने बच्चों को सिखाई कला की बारीकियां

सत्त्व स्कूल में आयोजित हस्तकला सत्र में पद्मश्री रमेश और शांति परमार ने डॉल मेकिंग व पेपर माचे कला सिखाकर बच्चों और अभिभावकों को भारतीय लोककला से जोड़ा। यह रचनात्मक आयोजन सत्त्व की भारत-केंद्रित शिक्षा पहल का हिस्सा था, जिसमें संस्कृति और कला के प्रति जुड़ाव को प्रोत्साहित किया गया।

Srashti Bisen
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सत्त्व स्कूल ने एक विशेष हस्तकला सत्र का आयोजन कर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भारतीय लोककला की समृद्ध परंपरा से जोड़ा। इस अवसर पर झाबुआ से पधारे सुप्रसिद्ध लोककलाकार एवं पद्मश्री से सम्मानित रमेश परमार और शांति परमार ने डॉल मेकिंग और पेपर माचे कला की प्रस्तुति दी।

सत्र के दौरान परमार दंपति ने अपनी अनूठी कला यात्रा और अनुभव साझा करते हुए विधार्थियों को पारंपरिक गुड़िया निर्माण व कागज की लुगदी से सजावटी वस्तुएं बनाने की तकनीकें सिखाईं। बच्चों और उनके अभिभावकों ने इस रचनात्मक गतिविधि में सक्रिय भागीदारी की और अपनी कल्पनाशक्ति को आकार देने का अवसर प्राप्त किया।

शिक्षा के साथ संस्कृति की समझ

कार्यक्रम को सत्त्व स्कूल की भारत-केंद्रित समग्र शिक्षा पहल के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य बच्चों को अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ सांस्कृतिक जागरूकता से भी जोड़ना है। उपस्थित शिक्षकों और अभिभावकों ने सत्र की जीवंतता, पारंपरिक मूल्यों की प्रस्तुति और बच्चों में जागृत हुई रचनात्मकता की सराहना की। इस अनूठे आयोजन ने न केवल विद्यार्थियों को लोककलाओं की बारीकियों से अवगत कराया, बल्कि भारतीय विरासत के प्रति सम्मान और जुड़ाव की भावना भी जगाई।