C21 मॉल का मामला पहले अधिकारियों को सेट करके अनुमति ली फिर उन्हें फंसा दिया

Author Picture
By Ayushi JainPublished On: July 21, 2021

अर्जुन राठौर

C21 मॉल का मामला फिर से चर्चा में हैं उल्लेखनीय है कि 2014 में यह पूरा मामला लोकायुक्त में चला गया था और जब लोकायुक्त ने जांच शुरू की तो उस समय भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई थी। लोकायुक्त की जांच के तुरंत बाद इंदौर विकास प्राधिकरण ने माल के संचालक को नोटिस दिया था। लेकिन मॉल के संचालक ने कहा की जब नगर निगम और टीएनसीपी ने अनुमति दे दी है तो फिर इसमें उनकी क्या गलती है।

जब माल संचालक का यह जवाब सामने आया तो नगर निगम टीएनसीपी से लेकर इंदौर विकास प्राधिकरण के अधिकारी तक चुप बैठ गए क्योंकि अगर यह मामला आगे बढ़ता तो कई बड़े अधिकारी फंसते। अब सवाल इस बात का है कि जब 2014 में लोकायुक्त की शिकायत के आधार पर आईडीए को नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद 7 साल तक आईडीए के अधिकारी क्या सोते रहे या उन्हें भी रिश्वत देकर चुप करा दिया गया लोकायुक्त में यह मामला अभी भी लंबित चल रहा है इधर प्राधिकरण के नए सीईओ विवेक श्रोत्रिय द्वारा फिर से इस प्रकरण को लेकर जांच शुरू करवाई गई है।

उल्लेखनीय है कि 2014 में जब शंकर लालवानी इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे तब उन्होंने कहा था कि चाय बाजार के प्लाट के मामले में करीब 10 साल पहले कुछ निर्णय हुए थे, हम बोर्ड बैठक करने वाले हैं उसमें यह मुद्दा रखेंगे लेकिन उसके बाद न तो कोई बोर्ड बैठक में मुद्दा रखा गया और ना ही कोई निर्णय हुआ। इस तरह से शंकर लालवानी के रहते हुए भी C21 मॉल का कोई भी बाल बांका नहीं कर पाया ।

C21 मॉल के संचालक ने उस समय दम ठोक कर कहा कि सरकारी विभागों ने उन्हें मंजूरी दी है यदि वे गलत थे तो उन्हें राज्य शासन, नगर निगम, टीएनसीपी और हाईराइज कमेटी द्वारा मंजूरी क्यों दी गई ? और इसी आधार पर उन्होंने सरकार और उसके विभागों तथा अधिकारियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। अब यह पूरा मामला इतना अधिक उलझ गया है कि इसे सुलझाना साधारण बात नहीं रही जब तक कि कोई सख्त अधिकारी इस पूरे प्रकरण को लेकर कार्रवाई नहीं करें तब तक कुछ भी नहीं होना है ।

उल्लेखनीय है कि चाय बाजार के 11 प्लाटों का संयुक्त करण करके C21 मॉल बनाया गया है इसके लिए चाय बाजार के प्लाटों की खरीद-फरोख्त नियमों के खिलाफ की गई और आईडीए के अफसर सब कुछ जान कर भी खामोश बैठे रहे। इसके साथ ही टीएनसीपी और नगर निगम ने भी इसे जरूरी मंजूरी दे दी थी। इससे जाहिर होता है कि नगर निगम और टीएनसीपी के भ्रष्ट अधिकारियों ने रिश्वतखोरी करके मॉल के संचालक को फायदा पहुंचाया इधर इस पूरे खेल में नगरीय प्रशासन और आवास तथा पर्यावरण विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं।

क्योंकि विभाग ने कभी ध्यान नहीं दिया कि इंदौर में बैठे अफसर सारे नियमों को दरकिनार करके मनमानी कर रहे हैं जिनके प्लाट पर यह माल बनाया गया है। उन्हें वहां पर गोदाम और दुकान बनानी थी जहां तक इंदौर विकास प्राधिकरण की बात करें तो इंदौर विकास प्राधिकरण ने लीज उल्लंघन के मामलों को लेकर प्रेस काम्प्लेक्स में न केवल लीज निरस्त कर दी बल्कि कई अखबारों की जमीनों के कब्जे में ले लिए लेकिन C21 मॉल अभी तक क्यों बचा हुआ है यह सोचने का विषय है ।

C21 मॉल का मामला पहले अधिकारियों को सेट करके अनुमति ली फिर उन्हें फंसा दिया C21 मॉल का मामला पहले अधिकारियों को सेट करके अनुमति ली फिर उन्हें फंसा दिया