भारतीय जनता पार्टी के नव नियुक्त मध्यप्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक सफर केवल पदों या अधिकारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह हमेशा कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने और जमीनी संघर्षों में भागीदारी की मिसाल रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की और युवा मोर्चा तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे संगठनों में सक्रिय योगदान दिया। संगठनात्मक कार्यों के जरिए वे धीरे-धीरे पार्टी नेतृत्व के ऊपरी स्तर तक पहुंचे। उनके पास उस समय की एक विशेष तस्वीर भी है, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनके घर आए थे।
हेमंत खंडेलवाल के करीबी मित्र हेमंत चंद ‘बबलू’ दुबे बताते हैं कि उनका जमीनी संघर्ष स्पष्ट रूप से 22 नवंबर 1988 को नजर आया, जब वे युवा मोर्चा के ब्लॉक कोषाध्यक्ष के तौर पर सदर क्षेत्र स्थित रेलवे गेट पर आयोजित चक्काजाम आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए। यह प्रदर्शन युवाओं की मांगों को लेकर किया गया था। आंदोलन के दौरान पुलिस ने सभी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर एक अस्थायी जेल बनाकर उन्हें जिला जेल में रखा, जहां शाम तक सभी को बंद रखा गया। यह घटना खंडेलवाल की संघर्षशीलता और सक्रिय राजनीतिक भूमिका का एक सशक्त उदाहरण बन गई।

अटल जी से पहली भेंट, 1980 की यादगार मुलाकात
खंडेलवाल की राजनीतिक सोच और जुड़ाव की गहराई को समझने के लिए 1980 की एक घटना का ज़िक्र आवश्यक है। उसी वर्ष भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी “अटल निधि संग्रह अभियान” के अंतर्गत बैतूल आए थे। यह कार्यक्रम लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में आयोजित किया गया था। इसी अवसर पर 16 वर्षीय हेमंत खंडेलवाल की अटल जी से पहली बार मुलाकात हुई। भाजपा नेता राजीव खंडेलवाल, जो हेमंत के चाचा हैं, बताते हैं कि कार्यक्रम के बाद अटल जी, स्वर्गीय विजय खंडेलवाल (हेमंत के पिता) के निवास पर भोजन हेतु पधारे थे। उस ऐतिहासिक क्षण की एक तस्वीर आज भी परिवार के पास सुरक्षित है, जिसमें युवा हेमंत, अटल जी के साथ खड़े दिखाई देते हैं।
हेमंत खंडेलवाल का राजनीतिक जीवन संघर्ष, समर्पण और संगठन के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक रहा है। उनके पुराने सहयोगी आज भी उनके सहज स्वभाव, अनुशासन और सेवा भावना को याद करते हैं। छात्र राजनीति से शुरू हुई उनकी यात्रा जब प्रदेश अध्यक्ष पद तक पहुंची, तो यह स्पष्ट हो गया कि सच्चा नेतृत्व केवल पदों से नहीं, बल्कि व्यवहार, प्रतिबद्धता और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव से आकार लेता है।
जब कार्यकर्ताओं को दे दी अपनी शर्ट और स्कूटर
हेमंत खंडेलवाल का कार्यकर्ताओं के प्रति समर्पण किसी कहानी तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके व्यवहार में साफ नजर आता था। एक प्रसंग के अनुसार, उनके पास एक नीले रंग का काइनेटिक स्कूटर था, जिसे वे पार्टी के काम के लिए सुबह-सुबह कार्यकर्ताओं को सौंप देते थे, और कई बार खुद पैदल घर लौटते थे। यही नहीं, यदि किसी कार्यकर्ता को उनकी पहनी हुई शर्ट पसंद आ जाती, तो वे बिना झिझक घर जाकर कपड़े बदलते और वह शर्ट भी उसे दे देते थे। उनका यह सहज, सरल और त्यागपूर्ण स्वभाव ही उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच खास बनाता था।
कॉलेज के दिनों से ही दिखने लगा नेतृत्व का हुनर
हेमंत चंद के अनुसार, हेमंत खंडेलवाल का छात्र जीवन भी उनकी संगठनात्मक क्षमताओं का स्पष्ट प्रमाण रहा है। वर्ष 1985 से 1989 तक उन्होंने कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के पैनल का प्रबंधन संभाला। इसी दौरान उन्होंने राजनीतिक रणनीति, कार्यकर्ताओं के समन्वय और जमीनी स्तर पर कार्य करने की सूक्ष्मताएं सीखीं। विद्यार्थी परिषद और युवा मोर्चा जैसे संगठन उनके राजनीतिक सफर की आधारशिला बने।