एमपी सरकार की नई पहल, सरकारी अफसरों को करना होगा ये 2 साल का कोर्स, सैलरी और खर्च को लेकर क्या होंगे नियम?

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By Srashti BisenPublished On: May 27, 2025
MP News

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के खजाने और वित्त से जुड़े कार्यों को अधिक कुशलता और पारदर्शिता से संचालित करने के उद्देश्य से एक अहम निर्णय लिया है। इसके तहत वित्त सेवा के अधिकारियों को दो वर्षीय फाइनेंशियल मैनेजमेंट कोर्स करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।

यह कोर्स वित्त मामलों में दक्षता बढ़ाने और बजट के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।

दो वर्षीय एमबीए कोर्स की विशेषताएं

एमपी सरकार की नई पहल, सरकारी अफसरों को करना होगा ये 2 साल का कोर्स, सैलरी और खर्च को लेकर क्या होंगे नियम?

इस पाठ्यक्रम की शुरुआत जुलाई 2025 से होगी और यह 2027 तक चलेगा। यह कोर्स राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (National Institute of Financial Management – NIFM) द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के सहयोग से डिजाइन किया गया है। कोर्स पूरा करने के बाद प्रतिभागी अफसरों को MBA in Financial Management की डिग्री प्रदान की जाएगी। खास बात यह है कि कोर्स के दौरान अधिकारी नियमित रूप से वेतन और भत्ते प्राप्त करते रहेंगे, लेकिन कोर्स से जुड़े अन्य खर्च जैसे बोर्डिंग, स्पोर्ट्स, बिजली आदि का भुगतान उन्हें स्वयं करना होगा।

आवेदन की अंतिम तिथि और चयन प्रक्रिया

वित्त विभाग ने इस संबंध में इच्छुक अधिकारियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 26 मई तय की गई है, और सभी इच्छुक अधिकारी अपने आवेदन विभाग की स्थापना शाखा में जमा कर सकते हैं। चयनित अधिकारियों को वित्तीय प्रबंधन की गहराई से समझ विकसित करने का यह महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण का अवसर

कोर्स की एक और प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें दो सप्ताह की अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण गतिविधि भी शामिल है, जिससे अफसरों को वैश्विक वित्तीय प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय बेस्ट प्रैक्टिसेस का प्रत्यक्ष अनुभव मिल सकेगा। यह हिस्सा भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा प्रायोजित है, जो इस कोर्स को और भी मूल्यवान बनाता है।

बेहतर बजट प्रबंधन की दिशा में एक और कदम

यह प्रयास मध्यप्रदेश सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह लगातार वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है। सरकार का उद्देश्य यह है कि खजाने से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाई जाए ताकि विकास कार्यों में बजट का अधिकतम और प्रभावी उपयोग संभव हो सके।