इस वर्ष एक बार फिर दीपों की जगमग रोशनी के बीच अयोध्या में आयोजित होने जा रहा दीपोत्सव दर्शकों को न केवल भव्यता का अनुभव कराएगा, बल्कि भगवान श्रीराम के जीवन मूल्यों और आदर्शों से रूबरू भी कराएगा। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी दर्शक देसी और विदेशी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रामलीला का आनंद उठा सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो चुके इस आयोजन के नौवें संस्करण में एक नई झलक देखने को मिलेगी इस बार श्रीलंका की रामलीला भी पहली बार मंचित होगी।
विदेशी रामलीलाओं की नई परंपरा
पिछले वर्ष अयोध्या के रामकथा पार्क में थाईलैंड, कंबोडिया, रूस और नेपाल के कलाकारों ने अपनी-अपनी शैली में भगवान राम की कथा प्रस्तुत की थी। इस बार दीपोत्सव के नौवें संस्करण में थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल और रूस के कलाकार मंच पर उतरेंगे। ये विदेशी कलाकार दीपोत्सव से एक-दो दिन पहले ही अयोध्या पहुंच जाएंगे और अपनी प्रस्तुतियों की अंतिम तैयारियों में जुट जाएंगे। इस पूरे आयोजन का संयोजन अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान (IRVRI) द्वारा किया जा रहा है। संस्थान के निदेशक आशुतोष द्विवेदी के अनुसार, इस वर्ष विदेशी कलाकारों की सूची में एक और देश श्रीलंका को शामिल किया गया है, क्योंकि इसका भगवान श्रीराम की कथा से सीधा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष कंबोडिया ने प्रस्तुति दी थी, वहीं इस वर्ष उसकी जगह श्रीलंका के कलाकार आएंगे।
रामनगरी की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान
वर्ष 2017 से लगातार आयोजित हो रहा अयोध्या दीपोत्सव अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन गया है। हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस दिव्य आयोजन को देखने पहुंचते हैं। दीपोत्सव के दौरान रामकथा पार्क में विशेष मंच सजाया जाता है, जहां बारी-बारी से देसी और विदेशी कलाकार भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी घटनाओं का नाट्य रूपांतरण करते हैं। थाईलैंड और कंबोडिया के कलाकारों की रामलीला जहां पारंपरिक नृत्य और संगीत से भरपूर होती है, वहीं रूस और नेपाल के कलाकार अपनी कलात्मक प्रस्तुति के माध्यम से रामकथा को वैश्विक दृष्टिकोण से जीवंत करते हैं। इस वर्ष इन प्रस्तुतियों में श्रीलंका की भागीदारी से आयोजन को और गहराई तथा भावनात्मक जुड़ाव मिलने वाला है।
स्थानीय कलाकारों की भी विशेष भागीदारी
दीपोत्सव के दौरान केवल विदेशी कलाकार ही नहीं, बल्कि अयोध्या और आसपास के स्थानीय कलाकार भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। विभिन्न स्थानों पर छोटे-छोटे मंच सजाए जाएंगे, जिन पर स्थानीय कलाकार रामकथा के अलग-अलग प्रसंगों का मंचन करेंगे। पिछले वर्ष तुलसी उद्यान, गुप्तारघाट और गांधी आश्रम के पास मंच सजाए गए थे, जबकि इस वर्ष दो नए स्थान भी जोड़े जा सकते हैं। इन छोटे मंचों से पूरे शहर में एक उत्सवमय वातावरण बनता है और हर गली-चौराहे पर “जय श्रीराम” की गूंज सुनाई देती है।
प्रदर्शनी में दिखेगी रामलीला की झलक
अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान दीपोत्सव के अवसर पर एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित करेगा। रामकथा पार्क के पास लगने वाली इस प्रदर्शनी में देशी-विदेशी रामलीलाओं से जुड़ी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की जाएंगी — जैसे कि मुखौटे, गदा, तलवारें, धनुष, पेंटिंग्स और दुर्लभ ग्रंथ। ये प्रदर्शनियाँ न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि दर्शकों को यह भी बताती हैं कि रामकथा विश्व के कितने हिस्सों में किस रूप में जीवंत है।
दिशा रामलीला फिर करेगी रूस का प्रतिनिधित्व
दीपोत्सव 2025 में रूस की ओर से इस बार भी रशियन-इंडियन फ्रेंडशिप सोसाइटी “दिशा” हिस्सा लेगी। संस्था के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह ने बताया कि इस वर्ष उनकी टीम ‘दिशा रामलीला’ नामक नाट्य प्रस्तुति लेकर आएगी, जो पद्मश्री गत्रादी मिखाइलोविच पेचनिकोव की स्मृति को समर्पित है। पेचनिकोव वही प्रसिद्ध रूसी कलाकार और रंगमंच निर्देशक थे, जिन्होंने 1960 के दशक में रूस में रामलीला की शुरुआत की थी। उनके प्रयासों से रूस में भारतीय संस्कृति और रामकथा के प्रति गहरा लगाव उत्पन्न हुआ। दिशा रामलीला की पहली प्रस्तुति 2018 में अयोध्या दीपोत्सव में हुई थी, दूसरी कुंभ मेला 2019 प्रयागराज में, और तीसरी दीपोत्सव 2022 एवं 2023 में अयोध्या में। इस वर्ष यह प्रस्तुति फिर से रूस की ओर से भारत-रूस सांस्कृतिक मैत्री का प्रतीक बनेगी।
भारतीय और रूसी मित्रता की नई मिसाल
डॉ. रमेश्वर सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार, रूस के भारत में राजदूत डेनिस एवगेनियेविच अलीपोव, और जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र (JNCC), मॉस्को की निदेशक मधुर कंकना राय के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक पुल को और मजबूत करेगा, और भगवान राम के आदर्शों को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने में मदद करेगा।
अयोध्या दीपोत्सव: एक अद्भुत सांस्कृतिक उत्सव
दीपों की असीम आभा, विदेशी कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियां, और अयोध्या की दिव्य सजावट सब मिलकर दीपोत्सव को केवल एक धार्मिक नहीं बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव बना देती हैं। इस वर्ष जब श्रीलंका, इंडोनेशिया, रूस, थाईलैंड और नेपाल के कलाकार मंच पर एक साथ भगवान श्रीराम की कथा जीवंत करेंगे, तब अयोध्या सचमुच “विश्व की आध्यात्मिक राजधानी” के रूप में जगमगाएगी।