भावांतर योजना लागू होने के बाद प्रदेश की विभिन्न मंडियों में सोयाबीन की आवक अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। इस तेज़ बढ़ोतरी ने अधिकारियों को सतर्क कर दिया है, क्योंकि संदेह जताया जा रहा है कि कुछ व्यापारी किसानों का नाम इस्तेमाल करते हुए गोदामों में रखी पुरानी सोयाबीन या बाजार से रिसाइकिल किया हुआ माल बेच रहे हैं। ऐसे लोगों का उद्देश्य सिर्फ एक योजना का गलत फायदा उठाकर ज़्यादा मुनाफा कमाना। इसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड ने सभी मंडी समितियों को कड़ी निगरानी रखने और प्रत्येक लेनदेन को बारीकी से मॉनिटर करने के निर्देश दिए हैं।
बिचौलियों की सक्रियता का बढ़ रहा खतरा
सामान्य तौर पर सोयाबीन का मौसम बीतते हुए करीब दो महीने हो चुके हैं और इस समय आवक में गिरावट आनी चाहिए थी। लेकिन इसके उलट, मंडियों में ट्रॉलियों की लाइनें और माल की मात्रा लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यही बढ़ी हुई गतिविधि बताती है कि बिचौलिए तेजी से सक्रिय हो गए हैं। भावांतर योजना के तहत मिलने वाले मूल्य लाभ को देखते हुए वे किसानों के नाम पर बड़े पैमाने पर सोयाबीन बेचने की कोशिश कर सकते हैं। यह स्थिति किसानों के हितों के साथ-साथ पूरी योजना की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर सकती है, इसलिए प्रशासन का सतर्क होना स्वाभाविक है।
मंडी बोर्ड ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए दिए कड़े निर्देश
योजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए मंडी बोर्ड ने कई विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। सबसे पहले, किसानों के मंडी में प्रवेश करते ही उनकी रियल-टाइम एंट्री दर्ज करने को अनिवार्य किया गया है, ताकि हर ट्राली और हर व्यक्ति का रिकॉर्ड सुरक्षित रहे। इसके अलावा, पर्ची जारी करने का काम केवल स्थायी कर्मचारियों द्वारा ही किया जाएगा, जिससे फर्जी पर्चियों या गलत डेटा दर्ज होने की संभावना कम हो जाए।
पंजीकरण की सख्त जांच और किसान की उपस्थिति अनिवार्य
मंडी परिसर में जब भी कोई वाहन या ट्राली प्रवेश करे, तो सबसे पहले उसकी पंजीकरण की जांच की जाएगी। यदि उपज बेचने वाला व्यक्ति पंजीकृत किसान नहीं है, तो उससे प्रतिनिधि की वैध अनुमति या पहचान पत्र अनिवार्य रूप से लिया जाएगा। इसके साथ ही, उपज बेचते समय किसान या उसका अधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित रहे, ताकि बिचौलियों द्वारा मनमाने तरीके से माल बेचने की गुंजाइश न रहे।
भंडारित माल के लाइसेंस और नीलामी की निगरानी
सभी मंडियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि भंडारण में रखी कृषि उपज को बेचने के लिए जारी किए गए अनुज्ञा पत्रों (लाइसेंस) की गहन जांच की जाए। यदि कहीं कोई पुराना माल योजना के नाम पर खपाया जा रहा है, तो उसकी तुरंत पहचान हो सके। इसके अतिरिक्त, नीलामी की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए हर नीलामी के दौरान किसान या प्रतिनिधि की फोटो खींचना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड सुरक्षित रहे।
सीसीटीवी से निगरानी होगी और भी मजबूत
मंडी बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि मंडियों में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह चालू रहें और उनकी फुटेज नियमित रूप से मॉनिटर की जाए। इससे मंडी में हो रही हर गतिविधि चाहे वह माल लाने का समय हो, बेचने का, तौलने का या नीलामी का सब कुछ रिकॉर्ड में रहेगा। इससे किसी भी संभावित अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।









