Diwali 2024: भारत के वे राज्य जो नहीं मनाते दिवाली, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

srashti
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Diwali 2024: दिवाली का त्योहार न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले भारतीयों के बीच भी उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि, केरल राज्य में दिवाली का उत्साह उतना अधिक नहीं होता। आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण।

Diwali 2024: केरल में दिवाली का उत्साह

हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि केरल में दिवाली नहीं मनाई जाती है, क्योंकि यहां हिंदुओं की संख्या अन्य धर्मों की तुलना में कम है। लेकिन जब इस पर सोशल मीडिया पर विवाद उठ गया, तो मीडिया हाउस ने अपनी रिपोर्ट वापस ले ली।

केरल एक बहुसांस्कृतिक राज्य है, जहाँ 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदुओं की आबादी 54.73 प्रतिशत, मुसलमानों की 26.56 प्रतिशत और ईसाइयों की 18.38 प्रतिशत है। इस हिसाब से यह कहना गलत है कि दिवाली नहीं मनाई जाती क्योंकि हिंदुओं की संख्या कम है।

Diwali 2024: अन्य त्योहारों की प्रमुखता

उत्तर भारत की तुलना में, केरल में दिवाली का जश्न कम धूमधाम से मनाया जाता है। इसके बजाय, ओणम और विष्णु जैसे अन्य हिंदू त्योहार अधिक उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इसके साथ ही, क्रिसमस और ईद जैसे त्योहार भी सभी समुदायों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। हालांकि, समय के साथ केरल ने उत्तर भारतीय त्योहारों को भी अपनाना शुरू कर दिया है। उत्तर भारतीयों की उपस्थिति और हिंदी फिल्मों के प्रभाव से अब कॉलेजों में होली का उत्सव भी मनाया जाता है।

Diwali 2024: दक्षिण भारत के अन्य राज्य

यदि हम दक्षिण भारत के अन्य राज्यों की बात करें, तो तमिलनाडु में दिवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, जबकि कर्नाटक में इसे बाली चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में भी नरकासुर के वध का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार, केरल में दिवाली का उत्सव न केवल सांस्कृतिक विविधता, बल्कि कृषि संबंधी कारणों से भी कम उत्साह के साथ मनाया जाता है।

Diwali 2024: दिवाली का सांस्कृतिक महत्व

केरल में दिवाली का जश्न न मनाने के पीछे कई सांस्कृतिक और धार्मिक कारण हैं। उत्तर भारत में यह त्योहार रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है, जबकि केरल में इसे भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के संदर्भ में देखा जाता है।

केरल में दिवाली के उत्सव का एक और कारण कृषि का पैटर्न है। उत्तर भारत में दिवाली फसलों की कटाई के बाद मनाई जाती है, जबकि केरल में यह समय उपोष्णकटिबंधीय जलवायु और मानसून के कारण अलग होता है। केरल में, किसानों के लिए यह नई फसल की रोपाई का समय होता है, जो दिवाली के उत्सव में कमी का एक कारण है।