सोमवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है, और इससे पहले ही सियासी हलचल तेज़ हो गई है। केंद्र सरकार जहां 8 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है, वहीं विपक्ष ने भी कई विवादास्पद मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कहा है कि सरकार संसद में सभी जरूरी मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है फिर चाहे बात ऑपरेशन सिंदूर की हो या डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान की।
सरकार की रणनीति, विधेयकों पर केंद्रित एजेंडा
सरकार इस सत्र में जिन 8 विधेयकों को पेश करने की तैयारी में है, वे देश के संसाधनों, विरासत और खेल क्षेत्र से जुड़े हैं। प्रस्तावित विधेयकों में शामिल हैं।भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, नेशनल डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, रेलवे भूमि संशोधन विधेयक, डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक, सीमा प्रबंधन विधेयक,
वन्यजीव संरक्षण संशोधन विधेयक शामिल है। रिजिजू ने कहा कि इन विधेयकों को समय पर पारित कराना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए सकारात्मक बहस और सहयोग की अपेक्षा है।
ट्रंप, ऑपरेशन सिंदूर और SIR पर हमलावर
विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सरकार को सिर्फ विधायी कामकाज पर टिके रहने नहीं देगा। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके और एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों ने साझा रणनीति बनाई है। डोनाल्ड ट्रंप का दावा कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता की। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पांच लड़ाकू विमानों के गिरने के दावे पर स्पष्टीकरण, बिहार में चल रही वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) प्रक्रिया में कथित अनियमितताएं,
पहलगाम आतंकी हमले में सुरक्षा चूक और खुफिया तंत्र की नाकामी, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी से इन मुद्दों पर संसद में प्रत्यक्ष जवाब देने की मांग की है। वहीं, AAP नेता संजय सिंह ने SIR को “चुनावी घोटाला” करार दिया है।
हर सवाल का जवाब देंगे
ऑल पार्टी मीटिंग के दौरान रिजिजू ने विपक्ष को भरोसा दिलाया कि सरकार किसी भी गंभीर मुद्दे से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा-हम संसद में ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन सदन को बाधित करना या हंगामे से रोकना ठीक नहीं। संसद में सहयोगात्मक रवैया जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को लेकर 100 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर मिल चुके हैं, और यह विषय भी संसद में उठाया जाएगा।
मॉनसून सत्र 2025 काफी हंगामेदार रहने की संभावना है। एक ओर सरकार अपने विधेयकों को पारित कराने के लिए आक्रामक है, तो दूसरी ओर विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं जैसे मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए तैयार है। अब देखना होगा कि संसद में बहस और चर्चा का संतुलन किस तरह बनता है। संवाद और टकराव के बीच का संतुलन तय करेगा सत्र की सफलता।