राजधानी भोपाल में सार्वजनिक परिवहन की समस्या को दूर करने के लिए जल्द ही बड़ी पहल की जा रही है। इनक्यूबेट कंपनी अब भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) के साथ मिलकर 70 नई CNG लो-फ्लोर बसें चलाने जा रही है। फिलहाल शहर में केवल 30 बसें ही संचालित हैं, जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गुरुवार को हुई नगर परिषद की 14वीं बैठक में यह प्रस्ताव बहुमत से पारित किया गया। बैठक में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के पार्षदों ने कई मुद्दों पर तीखी बहस भी की, लेकिन अंततः परिवहन, कर्मचारियों के नियमितीकरण और जल आपूर्ति से जुड़े कई अहम निर्णय लिए गए।
बैरसिया तक जाएगा बड़ा तालाब का पानी, इंडस्ट्रियल क्लस्टर का होगा विकास
बैठक में लिए गए प्रमुख फैसलों में से एक था — बैरसिया तक बड़ा तालाब का पानी पहुंचाने का प्रस्ताव। नगर निगम अब बांदीखेड़ी इलेक्ट्रॉनिक क्लस्टर को पानी की आपूर्ति करेगा, जिसके लिए लगभग 40 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इस परियोजना का उद्देश्य बैरसिया क्षेत्र में इंडस्ट्रियल क्लस्टर का विकास करना है। हालांकि, कांग्रेस पार्षदों ने इसका विरोध किया और कहा कि “शहर अपनी पानी की जरूरतें ही पूरी नहीं कर पा रहा है, तो दूसरे क्षेत्र में सप्लाई क्यों?” इसके बावजूद यह प्रस्ताव बहुमत से पारित कर दिया गया।
एक हजार अस्थायी कर्मचारियों को मिलेगी स्थायी नौकरी
नगर परिषद बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि नगर निगम में पिछले 10 सालों से कार्यरत एक हजार अस्थायी कर्मचारियों को अब नियमित (Permanent) किया जाएगा। इससे कर्मचारियों में स्थिरता आएगी और प्रशासनिक कामकाज भी बेहतर होगा। साथ ही, यह भी तय किया गया कि जिन कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार या अनियमितता के आरोप पाए जाएंगे, उनकी जांच निगमायुक्त स्तर पर की जाएगी।
इंजीनियरों का काम अब डिग्री और विशेषज्ञता के अनुसार तय होगा
बैठक में इंजीनियरों की कार्य विभाजन व्यवस्था को लेकर भी बड़ा निर्णय लिया गया। अभी तक सिविल इंजीनियरों से बिजली और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों से सीवेज-सफाई का काम कराया जा रहा था, जिससे परियोजनाएं अटक रही थीं। अब जल्द ही सभी इंजीनियरों को डिग्री और डिप्लोमा के अनुसार संबंधित शाखाओं में पदस्थ किया जाएगा ताकि कामकाज प्रभावी और सुचारू रूप से हो सके।
तबादले के बाद भी जमे अफसर हटाए जाएंगे, बढ़ी अधिकारियों की वित्तीय शक्ति
नगर निगम प्रशासन ने कई प्रशासनिक निर्णय भी लिए हैं। तबादले के बाद भी अपने पदों पर जमे अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह चौहान और उपायुक्त एकता अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से रिलीव करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही अब अपर आयुक्त 5 लाख की जगह 50 लाख रुपये तक का बजट खर्च कर सकेंगे ताकि विकास परियोजनाओं में देरी न हो।
उद्यान विभाग के खर्च की होगी जांच
पिछले एक वर्ष के दौरान उद्यान विभाग द्वारा शहर को हरा-भरा बनाने के नाम पर किए गए खर्च पर भी सवाल उठे। परिषद ने खर्चों की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के पार्षदों ने विभाग के कामकाज पर गंभीर आपत्तियां जताईं।
अफसरों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की एकजुटता
बैठक में एक अनोखा दृश्य तब देखने को मिला जब कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के पार्षद एक सुर में अफसरों के खिलाफ खड़े हो गए। दोनों ने आरोप लगाया कि अपर आयुक्त और उपायुक्त न तो जनप्रतिनिधियों के फोन उठाते हैं और न ही बैठकों में शामिल होते हैं। महापौर मालती राय को कांग्रेस पार्षदों ने शहर की टूटी सड़कों और अधूरे वादों की याद दिलाते हुए सदन में तख्तियां दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया।
जीआईएस घोटाले पर भी गूंजा विरोध
बैठक में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (GIS 2025) से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी हंगामा हुआ। कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी का इस विषय पर सवाल एजेंडे से हटा दिया गया, जिस पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। हालांकि, भाजपा पार्षद जगदीश यादव ने खुद सदन में बताया कि पुराने फाउंटेन मोटर को नया बताकर बिल पास किए गए, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
परिषद अध्यक्ष का बयान
परिषद अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने बताया कि “तबादले के बाद भी पद पर बने अफसरों को तुरंत हटाया जाएगा। कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। वहीं, जिन कर्मचारियों या अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”











