कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के एक साल के भीतर ही सियासी समीकरण फिर से उलझने लगे हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान अब पार्टी नेतृत्व के दरवाजे तक पहुंच चुकी है। जानकारी के मुताबिक दोनों वरिष्ठ नेता बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांग चुके हैं। माना जा रहा है कि यह मुलाकात राज्य सरकार के भीतर लगातार बढ़ते तनाव और आगामी फैसलों के मद्देनज़र बेहद अहम मानी जा रही है। आज रात या कल सुबह राहुल समेत कांग्रेस आला कमान के साथ मुलाकात होगी। दोनों नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान को यह संदेश दिया है कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर मौजूदा हालात पर चर्चा करना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार मुलाकात में विधानसभा विस्तार, टिकट वितरण, और राजनीतिक नियुक्तियों पर मतभेद को लेकर बात होगी।
कर्नाटक कांग्रेस में बढ़ती अंदरूनी कलह
सत्ता में साझेदारी को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच शुरू से ही असहजता रही है। हाल ही में कुछ विधायकों द्वारा सार्वजनिक रूप से नाराज़गी जाहिर करने के बाद यह मामला और गरमाया है। दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच भी गुटबाज़ी बढ़ गई है, जिससे पार्टी की एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में कुछ नियुक्तियों को लेकर भी मतभेद सामने आए, जिसमें डीके शिवकुमार समर्थक विधायकों को दरकिनार किए जाने का आरोप लगा है।

दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की तैयारी
राज्य में बनते संकट के बीच अब दोनों नेता दिल्ली आ चुके हैं और दोनों ने राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा गया है, ताकि पार्टी आलाकमान के सामने दोनों अपनी बात रख सकें। पार्टी सूत्रों का मानना है कि राहुल गांधी इस मुलाकात में मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे और किसी एक पक्ष के बजाए संगठन हित में संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे।
विधानसभा विस्तार और टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद
राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के साथ-साथ आगामी लोकसभा उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए टिकट वितरण भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। डीके शिवकुमार गुट चाहता है कि उनके समर्थकों को प्राथमिकता दी जाए, जबकि सिद्धारमैया इसे संगठन के खिलाफ मानते हैं। यही मुद्दे अब राहुल गांधी के समक्ष रखे जाएंगे।
कांग्रेस आलाकमान सुलझाएगा विवाद
कांग्रेस हाईकमान इस समय 2029 की रणनीति पर काम कर रहा है और वह नहीं चाहता कि कर्नाटक जैसे बड़े राज्य से पार्टी को कोई नुकसान पहुंचे। कर्नाटक में कांग्रेस की मजबूती राष्ट्रीय राजनीति में उसकी साख से जुड़ी हुई है। ऐसे में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी की तिकड़ी अब राज्य इकाई में मतभेद सुलझाने के लिए आगे आएगी।