चंदेरी के घरों और गलियों में छात्रों के ब्रश ने जीवन की कला का किया संचार

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इंदौर: उज्जैन व् इंदौर के कॉलेज के छात्र मध्य प्रदेश की विभिन्न पारंपरिक कलाओं को चंदेरी में बुनकरों के घरों और सड़कों पर कलाकृतियाँ बनाकर दर्शाएंगे। दरअसल राज्य पर्यटन विभाग चंदेरी के प्राणपुर गाँव में एक ‘शिल्प हथकरघा पर्यटन गाँव’ विकसित कर रहा है। इसके चलते राज्य पर्यटन विभाग ने प्राणपुर में बुनकरों के इलाके की दीवारों, घरों व् गलियों पर लोक कला के विभिन्न रूपों को डिजाइन करने के लिए उज्जैन व् इंदौर के विश्वविद्यालयों से डिजाइन और संकाय के 40 छात्रों की एक टीम को शामिल किया है। मीडिया से चर्चा में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड (एमपीटीबी) एक अधिकारी ने कहा कि “हमने प्राणपुर में 200 से अधिक बुनकरों के घरों और पांच गलियों पर कलाकृतियां बनाने के लिए उज्जैन व् इंदौर के विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है। विचार यह है कि इस क्षेत्र को एक पर्यटन स्थल बनाया जाए और यहां समृद्ध कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाए।

दरअसल इस डिजाइनिंग कार्य में लगभग 6-8 महीने लगने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक यह तीन चरणों में किया जाएगा। ‘शिल्प हथकरघा पर्यटन गांव’ विकसित करने के लिए कपड़ा मंत्रालय के तहत विकास आयुक्त हथकरघा से लगभग 7.45 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की चंदेरी तहसील के प्राणपुर में लगभग 243 बुनकर रहते हैं जो चंदेरी साड़ियाँ और स्थानीय हस्तनिर्मित शिल्प बनाने में माहिर हैं। चंदेरी साड़ी एमपी की भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग वाली वस्तुओं में से एक है।

इस दौरान उज्जैन के अवंतिका विश्वविद्यालय के कुलपति नितिन राणे ने कहा कि “छात्रों और शिक्षकों की टीम पर्यटकों को एमपी की समृद्ध कला दिखाने के लिए मिलकर काम करेगी। इससे राज्य को एक ब्रांड स्थापित करने और कला को विश्व मानचित्र पर लाने में मदद मिलेगी। टीम ने काम शुरू कर दिया है और अगले 6-8 महीनों में इसके पूरा होने की उम्मीद है।’