शादी समारोह, सामाजिक कार्यक्रमों में म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर हो रही अवैध वसूली

Suruchi
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘वेड इन इंडिया” मूमेंट का सपना देख रहे हैं लेकिन म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर अवैध वसूली करने वाले इस योजना को बनने से पहले ही फेल कर रहे हैं। म्यूजिक कॉपीराइट एक्ट के नाम पर की जाने वाली वसूली के खिलाफ प्रदेश ही नहीं देश भर के इवेंट ऑर्गेनाइजर्स, एसोसिएशन और विभिन्न संगठन एक मंच पर आ चुके हैं।

हाल ही में कम्बाइंड इनिशिएटिव फॉर इवेंट मैनेजर्स वेलफेयर एसोसिएशन (सिएमा)के सदस्यों ने इस धांधली के खिलाफ एकजुट होकर यह आवाज उठाई की म्यूजिक लाइसेंस फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड (पीपीएल), इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी (आईपीआरएस ) और नोवेक्स द्वारा शादी , पार्टी में म्यूजिक चलाये जाने पर अवैध वसूली की जा रही है। अवैध लाइसेंस फीस वसूलने के लिए इवेंट आयोजकों, गार्डन, रेस्टोरेंट और होटल संचालकों को डराया, धमकाया जा रहा है। जबकि यह कानून शादी, समारोह और सोशल इवेंट्स पर लागू ही नहीं होता।

सिएमा के अध्यक्ष निमेष पितलिया ने बताया कि शादी-ब्याह व अन्य समारोहों में बजने वाले गाने कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है और न ही कोई रॉयल्टी मांग सकता है। निमेष पितलिया ने संवर्धन उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक पब्लिक नोटिस का हवाला भी दिया जो विभाग के अंडर सेक्रेटरी नवीन कुमार द्वारा 24 जुलाई 2023 को जारी किया गया था। इस पत्र में बताया गया कि कई लोगों ने इस तरह की अवैध वसूली की शिकायत की है जबकि स्पष्ट है कि कॉपीराइट एक्ट 1957 की धारा 52 (1) के तहत किसी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम में किसी तरह के साहित्य, नाटक, गीत या संगीत की प्रस्तुति कॉपीराइट के उल्लंघन में नहीं आती। यानी धार्मिक, आधिकारिक समारोह में किसी भी रूप में ध्वनि रिकॉर्डिंग इस दायरे से बाहर है। इन्हें बजाने के लिए कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं चाहिए। फिर भी कार्यवाही का डर दिखाकर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

सिएमा के सचिव ध्रुव मेहता ने बताया कि शासन, प्रशासन ने आयोजनों की समय सीमा रात 10 बजे तक कर दी है, जो व्यावहारिक नहीं है। शहरी दिनचर्या के चलते किसी भी शादी, पार्टी या अन्य समारोह में मेहमान रात 9, साढ़े 9 बजे के बाद ही आ पाते हैं। ऐसे में रात 10 बजे तक कार्यक्रम को खत्म करना असंभव है। इसलिए इस समय सीमा को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए।सिएमा सदस्यों के मुताबिक वेडिंग और इवेंट इंडस्ट्री लाखों करोड़ रुपए की इंडस्ट्री है।

इसमें काम करने वाले लोग हजारों करोड़ रुपए राजस्व देते हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था का विकास होता है। लेकिन म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर की जाने वाली मनमानी, अवैध वसूली और आयोजन की समय सीमा ने इंडस्ट्री का आर्थिक विकास रोक दिया है। लोग अब बड़े आयोजन करने से बचने लगे हैं और कई सम्पन्न परिवारों के लोग विदेशों की ओर रूख कर रहे हैं। देश का पैसा बाहर जा रहा है और यहां आर्थिक विकास अवरूद्ध हो रहा है।

बढ़ रहा रोजगार का संकट

बताया जा रहा है कि सिर्फ लाइसेंस ही नहीं बल्कि कई कारणों के चलते सम्पन्ना घराने के लोग विदेशों में जाकर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। भारतीय शादियां बाहरी देशों में होने के कारण और बड़े कार्यक्रम नहीं हो पाने के कारण इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों का रोजगार कम हो रहा है। शादियों और इवेंट्स से ही हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। लाइसेंस फीस के नाम पर धांधली पर रोक लगाने और कार्यक्रमों की रात्रिकालीन समय सीमा को आगे बढ़ाने पर यहां रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी क्योंकि पहले से ज्यादा शादियां और इवेंट्स होंगे। सिएमा के सदस्य इस तरह की समस्याओं और मांग को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने और उन्हें इनसे अवगत करवाने की योजना बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री का सपना कर रहे है चूर

कॉपीराइट सोसाइटियों दारा प्रधानमंत्री का सपना भी चूर कर रहे है . प्रधानमंत्री ने विदेश जाकर डेस्टिनेशन मैरिज करने वाले भारतीयों से भारत में ही शादी करने की अपील की है। ताकि विदेश में होने वाली भारतीय शादियों पर खर्च होने वाला करीब एक लाख करोड़ रुपए यहीं पर खर्च हो और अर्थ व्यवस्था मजबूत बने, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि भारतीय लोग वहां जाकर शादी क्यों कर रहे हैं? इन्हीं में से एक बड़ा कारण है म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर होने वाली धांधली, जो कॉपीराइट सोसाइटियों द्वारा की जा रही है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के कई प्रदेशों में ‘वेडिंग डेस्टिनेशन” बनाने की बात कही है ताकि भारतीय पैसा यहीं पर खर्च हो और अर्थ व्यवस्था मजबूत बने। बताया जा रहा है कि हर वर्ष करीब 5 हजार भारतीयों की डेस्टिनेशन वेडिंग विदेशों में होती है जिसमें एक लाख करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं। अगर ये शादियां यहीं पर होगी तो इस इंडस्ट्री से जुड़े सभी लोगों के लिए रोजगार की नई संभावनाएं जन्म लेंगी।