मालवा उत्सव में आखिरी दिन उमड़ी भीड़, शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

Shivani Rathore
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Indore Malwa Utsav 2024 : मालवा उत्सव का आगाज जिस भव्यता के साथ हुआ गिरते पानी मैं भी नृत्य की बानगी देखने को मिली थी आज अंतिम दिवस भी वही भव्यता निरंतरता और उत्साह लोगों में दिखाई दे रहा था। जब भव्य मंच से उदघोषिका ने घोषणा की कि आज मालवा उत्सव का समापन दिवस है तो उपस्थित दर्शको की भावना थी कि यह उत्सव बहुत जल्दी समाप्त हो गया है।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने प्रतिदिन कलाकारों का उत्साह बढ़ाने के लिए मंच पर आकर लोक कलाकारों का स्वागत और अभिनंदन किया और आज इंदौर की जनता को मालवा उत्सव को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया और बधाई दी।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि लालबाग परिसर में हर तरफ शिल्प खरीदने की निहारने की जल्दबाजी नजर आ रही थी कोई जल्दी से झूला झूल कर घर जाना चाहता था तो कोई शिल्प बाजार से अपने पसंद की वस्तु जल्द से जल्द घर ले जाना चाहता था ।एक तरफ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग चकाचौंध मची थी तो दूसरी तरफ फूड स्टाल पर इंदौरी रंग चढ़ा था मालवी जायके के साथ संपूर्ण भारतवर्ष के जायके का स्वाद लेकर लोग चटकारे ले रहे थे।

लोक संस्कृति मंच के स्वाती दीपक लंवगड़े एवं बंटी गोयल ने बताया कि आज सांस्कृतिक कार्यक्रम मैं कोरकू जनजाति द्वारा गदली नृत्य जो की ब्याह शादी त्यौहार खुशी के मेको पर किया जाता है कलाकारों पुरुषों ने सफेद कुर्ता धोती एवं काला जैकेट सर पर पगड़ी हो कलंगी पहनकर तो महिलाओं ने लाल साड़ी और हाथ में चितकोरी लेकर घूम-घूम कर नृत्य किया।

मध्य प्रदेश का गुडूम बाजा मैं तो जिसमें सफेद धोती लाल कुर्ता और उसके ऊपर कौड़ियों की जैकेट पहनकर ढोल टीम की के साथ में किया गया नृत्य बड़ा खूबसूरत था। माता की आराधना करने हेतु किया जाने वाला गुजरात का गरिया एवं सुख दुख के समय किया जाने वाला गुजरात का मेवासीभील नृत्य भी प्रस्तुत किया गया जिसमें खत्री देव की आराधना की गई।

आशा अग्रवाल की गंधर्व अकैडमी द्वारा मयूर नृत्य प्रस्तुत किया गया इसमें कलाकार मोर का रूप धारण कर सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे यह नृत्य राधा और कृष्णा को समर्पित लोक नृत्य है जो की ब्रज में एवं विश्व में मयूर लीला के नाम से जाना जाता है वही मयंक शर्मा एवं साथियों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

कुआं पानी भरने कसी जाऊ रे नजर लग जाए

लोक संस्कृति मं संकल्प वर्मा एवं पवन शर्मा ने बताया कि अपने सुख-दुख की बातें गांव की महिलाएं जब कुएं पर पानी भरने जाती है करती रहती है उसी का भावपूर्ण प्रदर्शन पनिहारी नृत्य में प्रस्तुत हुआ वही निमाड़ आंचल का गणगौर नृत्य जिसमें महिलाएं अपनी पट्टी की लंबी उम्र के लिए गणगौर की पूजा करती है और माथे पर गणगौर रखकर नृत्य करती नजर आई।

इस अवसर पर लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा, कंचन गिद्वानी ,मुद्रा शास्त्री, विशाल गिद्वानी , कपिल जैन, रितेश पिपलिया, दिलीप शारदा ,निवेश शर्मा, मुकेश पांडे, जुगल जोशी, राजेश बिहानी,विकास केतेले मौजूद थे।