ड्राइविंग का शौक या खतरा? रोज़ाना इतने घंटे से ज़्यादा गाड़ी चलाना पड़ सकता है भारी, जानें इसके खतरनाक प्रभाव

लंबे समय तक मैन्युअल कार चलाने से घुटनों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे पटेलर टेंडिनोपैथी (Patellar Tendinopathy) जैसी दर्दनाक समस्या हो सकती है। रोजाना दो घंटे से अधिक ड्राइविंग करने पर घुटनों में तेज दर्द और जकड़न की शिकायत हो सकती है।

Abhishek Singh
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आज की व्यस्त जीवनशैली हमारे स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डाल रही है। अक्सर हम अपनी रोजमर्रा की आदतों की वजह से अनजाने में कई समस्याओं से घिर जाते हैं। उन्हीं में से एक है कार का अधिक उपयोग, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। दैनिक जीवन में कार का इस्तेमाल आम हो गया है, चाहे वह फैमिली ट्रिप हो या लॉन्ग ड्राइव। लेकिन लगातार ड्राइविंग से कई शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। खासतौर पर, यदि आप रोजाना दो घंटे से अधिक मैन्युअल कार चलाते हैं, तो आपको पटेलर टेंडिनोपैथी (Patellar Tendinopathy) जैसी घुटनों से जुड़ी दर्दनाक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या घुटनों में तेज दर्द और जकड़न का प्रमुख कारण बन सकती है।

क्या है पटेलर टेंडिनोपैथी और कैसे पहचानें?

पेटेलर टेंडिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) को पिंडली की हड्डी से जोड़ने वाले टेंडन में सूजन और दर्द होता है। यह मुख्य रूप से घुटने के सामने वाले हिस्से में महसूस किया जाता है। इसे पेटेलोफेमोरल पेन सिंड्रोम (PFPS) के नाम से भी जाना जाता है, जो घुटने की टोपी के आसपास होने वाले दर्द को संदर्भित करता है। यह समस्या अक्सर लंबे समय तक बैठे रहने वाले लोगों में देखी जाती है, इसलिए इसे “रनर का घुटना” या “जंपर का घुटना” भी कहा जाता है। लगातार ब्रेक और एक्सीलेटर पर दबाव डालने से घुटनों पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है, जिससे दर्द और सूजन की समस्या बढ़ सकती है, खासकर मैन्युअल कार चलाने वालों के लिए, जहां पैरों की निरंतर गतिविधि आवश्यक होती है।

क्या है टेंडिनोपैथी से बचाव के उपाय ?

पेटेलर टेंडिनोपैथी से बचाव के लिए ड्राइविंग के दौरान सही पोस्चर अपनाना बेहद जरूरी है। सीट को बहुत पीछे न रखें और पैडल के करीब बैठें, ताकि आपके घुटने का कोण 30 डिग्री से अधिक न हो। सुनिश्चित करें कि घुटने सीट के किनारे पर सही स्थिति में हों, जिससे उन्हें सहज रूप से हिलाने की पर्याप्त जगह मिले। लंबी ड्राइविंग के दौरान हर 45 मिनट में एक बार ब्रेक लें और कार से बाहर निकलकर पैरों को स्ट्रेच करें। ड्राइविंग के दौरान सीट की ऊंचाई ऐसी रखें कि घुटने आसानी से मुड़ सकें और पैरों पर अनावश्यक दबाव न पड़े। इसके अलावा, घुटने की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए अपने दैनिक रूटीन में व्यायाम को शामिल करना फायदेमंद रहेगा।

कितनी खतरनाक है टेंडिनोपैथी बीमारी ?

अगर आप रोजाना दो घंटे से ज्यादा मैन्युअल कार चलाते हैं, तो पेटेलर टेंडिनोपैथी नामक गंभीर समस्या से जूझ सकते हैं। इस स्थिति में घुटने में तेज दर्द और सूजन हो सकती है, जिससे अकड़न बढ़ती है और सीढ़ियां चढ़ने, झुकने या सामान्य गतिविधियां करने में दिक्कत होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में देखी जाती है, जो लंबे समय तक बैठे रहते हैं, जिससे मैन्युअल कार चलाने वालों के घुटनों पर अधिक दबाव पड़ता है। लगातार ड्राइविंग से घुटने की मांसपेशियों में जकड़न और कमजोरी आ सकती है, जिससे समस्या और गंभीर हो सकती है।

मैन्युअल कार ज्यादा नुकसानदायक क्यों ?

रोजाना दो घंटे से अधिक मैन्युअल कार चलाना सेहत के लिए जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि इससे पेटेलर टेंडिनोपैथी जैसी घुटने की समस्या हो सकती है। इस बीमारी में घुटनों में तेज दर्द और सूजन की शिकायत हो सकती है। मैन्युअल कार चलाते समय ड्राइवर को बार-बार गियर स्टिक, क्लच और पैडल का उपयोग करना पड़ता है, जिससे घुटनों पर लगातार दबाव पड़ता है। वहीं, ऑटोमैटिक कार में गियर बदलने की जरूरत नहीं होती, जिससे यह समस्या कम होती है। इसके अलावा, गलत बैठने की मुद्रा भी घुटने के दर्द को बढ़ा सकती है। इसलिए, ड्राइविंग के दौरान सही पोस्चर अपनाना जरूरी है ताकि घुटनों पर अनावश्यक दबाव न पड़े और एक्सीलेटर, ब्रेक व क्लच तक पैरों की पहुंच सहज बनी रहे।